भीलवाड़ा: भाद्रपद का महीना आते ही मौसम में बदलाव के साथ-साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों ही चिकित्सा प्रणालियां इस दौरान कुछ खास खाद्य पदार्थों से परहेज की सलाह देती हैं, ताकि लोग मौसमी बीमारियों से बच सकें।
इस महीने में अक्सर एलर्जी, त्वचा रोग, दस्त, पीलिया और बुखार जैसी स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं। इस मौसम में दही और हरी सब्जियों का सेवन हानिकारक है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अनुराग शर्मा का कहना है कि भाद्रपद में खाने-पीने की कई रोजमर्रा की चीजें हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इस मौसम में दही खाने से शरीर में कफ जम सकता है और बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया का अधिक सेवन इस महीने में हमारी आंतों को भी क्षति पहुंचा सकता है। इसी तरह, खमीर युक्त खाद्य पदार्थ, गुड़ और हरी सब्जियों का सेवन भी इस दौरान स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
भाद्रपद में छाछ, दही, आइसक्रीम और मिठाई का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। बेसन से बनी चीजें और गर्म मसालों का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है, जैसे सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल।
हालांकि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान को दही-माखन का भोग लगाया जाता है, लेकिन इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक तर्क छिपा है। धर्म के जानकारों का मानना है कि भगवान को अल्प मात्रा में दही अर्पित करने का यह भी अर्थ हो सकता है कि लोग इस महीने में इसका अत्यधिक सेवन करने से बचें, जिससे वे संभावित बीमारियों से सुरक्षित रह सकें।
श्रावण और भादो के महीने में मेडिकल दवाओं का सेवन भी कम करना चाहिए। यह वह समय होता है, जब पेट संबंधी रोग और पुराने दर्द फिर से उभर आते हैं। त्वचा भी खराब होने लगती है, इसलिए इन वस्तुओं का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने रोजाना तेल मालिश करने की भी सलाह दी है।
-दही, छाछ, आइसक्रीम
-हरी सब्जियां
-खमीर खाद्य पदार्थ, मिठाई
-बेसन से बनी चीजें
-गर्म मसाले (सोंठ, काली मिर्च)
-टमाटर का सूप
Published on:
19 Aug 2025 01:30 pm