भीलवाड़ा जिले के सरकारी विद्यालयों के जर्जर भवन शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। लंबे समय से संस्था प्रधान व पीईईओ मरमत बजट की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक राशि स्वीकृत नहीं हुई। हाल ही जिला कलक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में अधिकारियों ने मुद्दा उठाया, तो कलक्टर ने प्रारंभिक स्तर पर प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दानदाताओं व जनप्रतिनिधियों से सहयोग लेने का सुझाव दिया। लेकिन, वास्तविकता यह है कि अधिकांश ने इसमें रुचि नहीं दिखाई, जिससे बरसात में मरमत कार्य अधर में लटक गया।
जिले में हाल ही हुए सर्वे में सामने आया कि 2737 स्कूलों की मरमत के लिए 130 करोड़ रुपए की जरूरत है। संस्था प्रधानों का कहना है नए भवन के निर्माण में दानदाता आगे आते हैं, क्योंकि उनका नाम लिखा जाता है, लेकिन पुराने भवनों की मरमत में किसी की रुचि नहीं होती। ग्राम पंचायतों के पास भी इस कार्य के लिए अलग से बजट नहीं है।
ज्यादातर भवन पुराने होने से दीवारें और छत जर्जर हो चुकी हैं। बरसात में पानी टपकने से बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते जिले में 179 स्कूलों के ताले लगा दिए गए है। इनमें अध्ययन करने वाले 15 हजार से अधिक छात्रों का भविष्य अंधकार में है। पिछले वर्षों में कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन कुछ लोगों को जिमेदार ठहराकर मामला खत्म कर दिया जाता है। सरकार जांच कमेटियां बनाती है, निर्देश देती है, पर कुछ समय बाद स्थिति जस की तस हो जाती है।
Published on:
19 Aug 2025 11:32 am