8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उर्वरक वितरण में अनियमितता: कृषि विभाग को सूचना नहीं देने पर फर्म पर लटकी तलवार

बनका खेड़ा में 'श्री देव कृषि सेवा केंद्र' पर बड़ी कार्रवाई, 868 कट्टों के वितरण में उल्लंघन

2 min read
Google source verification
The sword hangs over the firm for not giving information to the Agriculture Department

The sword hangs over the firm for not giving information to the Agriculture Department

भीलवाड़ा जिले के बनकाखेड़ा क्षेत्र में उर्वरक विक्रेता की ओर से लाइसेंस नियमों का खुला उल्लंघन और कृषि विभाग को बिक्री की जानकारी नहीं देने का मामला सामने आया है। 'श्री देव कृषि सेवा केंद्र' नामक फर्म पर चम्बल फर्टिलाइजर एवं केमिकल्स की ओर से निर्मित यूरिया के 868 कट्टों के वितरण में अनियमितता की शिकायत के बाद कृषि विभाग ने सख्त कार्रवाई की है।

निगरानी में पकड़ी गई गड़बड़ी

केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को संतुलित उर्वरक उपयोग के लिए जागरूक करने कोे लिए "धरती माता बचाओ अभियान" चला रही हैं। इस अभियान के तहत गठित ग्राम पंचायत स्तर की निगरानी समिति ने ही इस गैरकानूनी बिक्री की सूचना कृषि विभाग को दी। सूचना मिलते ही डॉ. प्रकाशचंद्र खटीक के नेतृत्व में कृषि विभाग की टीम बनकाखेड़ा पहुंची और यूरिया वितरण अपनी देखरेख में करवाया।

फर्म को नोटिस जारी

कृषि विभाग की टीम ने मौके पर गहन जांच की। इसमें पाया गया कि श्री देव कृषि सेवा केंद्र फर्म अपने लाइसेंस के नियमों का उल्लंघन करते हुए यूरिया बेच रहा था। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि फर्टिलाइजर आपूर्ति व्यवस्था के लिए भी नुकसानदायक है। फर्म ने यूरिया की बिक्री की जानकारी कृषि विभाग को नहीं दी, जो अनिवार्य है। टीम, स्टॉक रजिस्टर, पीओएस मशीन के रेकॉर्ड और लाइसेंस संबंधी अन्य दस्तावेजों की जांच कर रही है। विभाग ने फर्म को नोटिस जारी कर दिया है और नियमानुसार कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 और फर्टिलाइज़र (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत की जाएगी। विभाग का कहना है कि यह सख्त कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि किसानों को समय पर, उचित मूल्य पर और स्थानीय स्तर पर उर्वरक मिल सके और उर्वरक वितरण में किसी भी प्रकार की कालाबाजारी या अनियमितता को रोका जा सके।