राजस्थान में खनन पट्टाधारियों ने स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सीया) के हालिया आदेशों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान और ग्रीन बेल्ट डेवलपमेंट के नाम पर अग्रिम राशि जमा कराने और बैंक गारंटी की नई बाध्यता को अव्यवहारिक बताते हुए खनन संगठनों ने खनन कार्य बंद कर दिया। इससे कई जिलों में मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।
खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकांत ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बताया कि सीया के 17 जुलाई और 23 जुलाई 2025 के आदेशों के तहत पर्यावरण पूर्वानुमति (ईसी) से पहले ही अलग पीडी खाता खोलकर वन्यजीव प्रबंधन योजना के लिए अग्रिम राशि जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, ग्रीन बेल्ट विकास के लिए पांच हेक्टेयर से कम पट्टों पर प्रति पौधारोपण 2 हजार रुपए के हिसाब से बैंक गारंटी और बड़े पट्टों पर प्रति हेक्टेयर पौधारोपण लागत अग्रिम देने की बाध्यता लगाई गई है। इन आदेशों के चलते प्रदेश में खनन गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ी है। ऐसे में इन दोनों आदेश पर पुन: विचार करने के लिए लिखा है। अधिकारियों ने माना है कि इन आदेशों से ईसी जारी करने में देरी हो रही है। इससे बजरी सहित अन्य खनिजों की आपूर्ति बाधित है।
अतिरिक्त वित्तीय बोझ अनावश्यक व अव्यवहारिक
आदेशों को लेकर प्रदेश भर के खनन संगठनों का कहना है कि यह अतिरिक्त वित्तीय बोझ अनावश्यक और अव्यवहारिक है, क्योंकि वे पहले से खनन पट्टा क्षेत्रों के आस-पास पौधारोपण करते है। साथ ही केंद्र सरकार की 14 सितंबर 2006 की अधिसूचना में न तो ऐसी अग्रिम राशि जमा कराने का प्रावधान है और न ही सीया को यह अधिकार प्राप्त है।
आपूर्ति पर पड़ा असर
खनन कार्य बंद होने से बजरी सहित अन्य खनिजों की आपूर्ति मांग के मुकाबले कम हुई है। इससे निर्माण कार्य रुकने लगे हैं। इससे न केवल राज्य सरकार का राजस्व घाटा बल्कि हजारों श्रमिकों की आजीविका भी संकट में है। खनन संगठनों ने सरकार से मांग की है कि सीया के दोनों आदेशों की समीक्षा कर उन्हें तुरंत वापस लिया जाए।
Published on:
10 Aug 2025 10:17 am