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दीपावली पर चौघड़िया नहीं, स्थिर लग्न ही शुभ

सनातन धर्म का गूढ़ संदेश: स्थिर मन और लगन से ही प्राप्त होती है लक्ष्मी दीपावली पर विशेष महत्व रखता है स्थिर लग्न का पूजन

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No Chaughadiya on Diwali, only stable Lagna is auspicious

No Chaughadiya on Diwali, only stable Lagna is auspicious

दीपावली अमावस्या पर सनातन धर्म का गूढ़ संदेश यह है कि इस दिन चौघड़ियों से अधिक स्थिर लग्न को पूजा के लिए शुभ माना गया है। धर्म शास्त्रों में दीपावली पूजन को केवल ग्रह-नक्षत्र या चौघड़िया तक सीमित न मानकर इसे आजीविका, स्थिरता और मन के संकल्प से जोड़ा गया है।

वैदिक ज्योतिषी हेमंत कासट के अनुसार सनातन धर्म स्पष्ट रूप से बताता है कि व्यक्ति को आजीविका उपार्जन या कार्य आरंभ के लिए शुभ मुहूर्त खोजने की आवश्यकता नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य में स्थिर मन और लगन से कार्य करना ही सच्चा शुभ मुहूर्त है।

लग्न का रहस्य-स्थिर मन ही स्थिर लक्ष्मी का आधार

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दीपावली पर पूजन में शुभ, लाभ, अमृत चौघड़ियों से भी अधिक स्थिर लग्न और स्थिर नवांश को प्रशस्त माना गया है। लग्न लगभग दो घंटे का होता है, लेकिन यदि व्यक्ति हर क्षण अपने लक्ष्य में मन लगाकर स्थिर लगन से कार्य करे, तो उसे निरंतर लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती रहती है। इस सिद्धांत का आध्यात्मिक अर्थ है, स्थिरता, एकाग्रता और कर्मनिष्ठा ही लक्ष्मी प्राप्ति का मूल सूत्र है।

अमावस्या पर ज्ञान, कर्म और लक्ष्मी का संगम

उन्होंने बताया कि दीपावली की अमावस्या पर सरस्वती, गणेश और लक्ष्मी पूजन का अर्थ केवल विधि-विधान नहीं, बल्कि एक जीवन संदेश है। यदि व्यक्ति सरस्वती (ज्ञान) को धारण कर, अपने ज्ञान से सत्कर्म और व्यापार में लगन रखे, तो उसे सदैव लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती रहती है।

अमावस्या का आध्यात्मिक संकेत

अमावस्या की अंधेरी रात जैसे जीवन में कठिनाइयां आती हैं, वैसे ही यदि व्यक्ति ज्ञान, लगन और कर्मनिष्ठा से कार्य करे, तो उसकी अंधकारमय परिस्थितियां भी प्रकाशित हो जाती हैं। इस प्रकार धनतेरस से लेकर दीपावली तक सनातन धर्म हमें यह सिखाता है कि लक्ष्य में मन और स्थिर लगन से किया गया सत्कर्म ही सच्ची आराधना है।