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रक्षाबंधन पर्व: भाई की कलाई पर सजा स्नेह का डोर…बहन ने रक्षासूत्र बांधकर मांगा सुरक्षा का वचन

- जिलेभर में हर्षोल्लास से मनाया गया रक्षाबंधन पर्व - सज-धज कर भाई के घर पहुंची बहन, भद्रा नहीं होने के कारण पूरे दिन बंधे रक्षासूत्र

Rakshabandhan festival: The thread of affection on brother's wrist
Rakshabandhan festival: The thread of affection on brother's wrist

भाई-बहन के स्नेह और अटूट रिश्ते का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन शनिवार को जिलेभर में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया गया। इस बार श्रावण पूर्णिमा पर भद्रा का साया नहीं होने से सुबह से लेकर देर शाम तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रहा। सुबह होते ही घ में त्योहार की तैयारियां शुरू हो गईं थी। बहनों ने सज-धजकर भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा, कुमकुम का तिलक लगाया और मिठाई खिलाकर उनकी लंबी उम्र, खुशहाली और सफलता की कामना की। भाइयों ने भी बहनों की रक्षा का वचन देते हुए उपहार भेंट किए।

वैदिक परंपरा का महत्व

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं बल्कि वैदिक परंपरा में इसका विशेष महत्व है। श्रावण मास की पूर्णिमा वेदपाठी ब्राह्मणों के लिए वर्ष का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन वे यजमानों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके कल्याण की कामना करते हैं और आत्मशुद्धि का संकल्प लेते हैं।

बाजारों में दिनभर रही रौनक

रक्षाबंधन पर्व को लेकर बाजार में खासा उत्साह देखने को मिला। बहनों ने दिनभर राखियां, सजावटी सामग्री और मिठाइयों की खरीदारी की। मिठाई की दुकानों, गिफ्ट सेंटर और फूलों की दुकानों पर भीड़ लगी रही। भाइयों ने भी अपनी बहनों के लिए गिफ्ट, कपड़े और अन्य उपहार खरीदें। शहर से लेकर गांव तक रक्षाबंधन का उत्साह देखने लायक था। कई परिवारों में रिश्तेदार और भाई-बहन एकत्र हुए, तो कहीं दूर-दराज से बहनें अपने भाइयों के पास पहुंचीं। मिठाइयों की खुशबू, राखियों की सजावट और हंसी-खुशी के माहौल ने पूरे जिले को त्योहारमय बना दिया।