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नारी श​क्ति: टर्बन लेडी ऑफ भीलवाड़ा सरजू बाई ने जगाई बदलाव की अलख,देश में मिसाल बना अमरतिया गांव

सरजू बाई मीणा अमरतियां गांव में भू-गर्भीय जल संरक्षण के लिए एक आवाज बुलंद की, लोग जुड़े और गांव में एक भी नलकूप नहीं खोदने दिया। सरजू बाई आज जल प्रहरी के रूप में जानी जाती है और भू-जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागृत करती है।

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जल प्रहरी सरजू बाई मीणा

Bhilwara News: उम्र 70 वर्ष, नाम सरजू बाई मीणा। अमरतियां गांव में भू-गर्भीय जल संरक्षण के लिए एक आवाज बुलंद की, लोग जुड़े और गांव में एक भी नलकूप नहीं खोदने दिया। सरजू बाई आज जल प्रहरी के रूप में जानी जाती है और भू-जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागृत करती है। उनकी इसी कड़ी मेहनत का परिणाम है कि अमरतिया गांव देश में एक मिसाल बन गया। गत 26 वर्षों से एफईएस से हुए जुड़ाव के पश्चात सरजू बाई ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। सरजू बाई ने मांडलगढ़ क्षेत्र ही नहीं प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी अपनी बात को पहुंचाया। उन्हें कई पुरस्कार भी मिले, लेकिन वह प्रचार-प्रसार से दूर अपना काम करती रहती है।

यों शुरू हुई कहानी

फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी संस्था के साथ वर्ष 2000 में जुड़कर सरजू ने अमरतिया गांव को जल संरक्षण के क्षेत्र में विकसित किया। गिरते भू-गर्भीय जलस्तर के संरक्षण के लिए चेक डेम, कंटूर, पट्टी स्ट्रक्चर, गेबियन, छोटे-छोटे एनीकट बनवाए। महिलाओं की समिति बना पूरे गांव को एकत्रित कर महिलाओं के मध्य जल शिक्षा प्रारंभ की। वूमेन वॉटर चैंपियन पुरस्कार, टर्बन लेडी ऑफ भीलवाड़ा के खिताब भी सरजू बाई को मिले, लेकिन उनका उन्हें कोई गुमान नहीं है।

शामलात की भावना जगाई

सरजू बाई मीणा ने महिलाओं के साथ मिल एक प्रमुख कार्य किया। बोरवेल खोदने पर पाबंदी लगाई। कुआं मेरा हो सकता है, कुएं से पानी निकालने की रस्सी, बाल्टी भी मेरी हो सकती है, लेकिन कुएं में भूमि के नीचे का जल सबका है यानी भूगर्भीय जल सभी का है। उसे बचाना है।