
एआइ के भरोसे प्रोजेक्ट (Photo Source- freepik)
MP News: चैटजीपीटी जैसे एआइ टूल्स से मिनटों में तैयार होने वाले प्रोजेक्ट अब कॉलेजों के लिए नई चुनौती बन गए हैं। वायवा में 80 प्रतिशत छात्र अपने ही प्रोजेक्ट के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे हालात में राजधानी के कॉलेज अब गूगल टेस्ट लागू कर रहे हैं, ताकि यह साबित हो सके कि असाइनमेंट छात्र ने तैयार किया या एआइ से करवाया गया। सरोजिनी नायडू स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय (नूतन कॉलेज) में यह टेस्ट नियमित किया जा रहा है।
कॉलेज की इतिहास की प्रोफेसर डॉ. संजना शर्मा का कहना है कि इससे छात्र किताबों और शोध सामग्री पढ़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, वहीं बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) के यूआइटी में असाइनमेंट हाथ से लिखकर जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। डायरेक्टर डॉ. नीरज गौर बताते हैं कि गूगल टेस्ट और वायवा मिलकर स्पष्ट कर देते हैं कि विद्यार्थी ने विषय की समझ विकसित की है या केवल एआइ के भरोसे प्रोजेक्ट बनवाकर जमा कर दिया है।
शिक्षकों का मानना है कि एआइ टूल्स का गलत उपयोग सीखने की प्रक्रिया को कमजोर करता है। छात्र केवल कॉपी-पेस्ट करते हैं। गूगल टेस्ट न केवल एआइ के दुरुपयोग पर रोक लगाता है, बल्कि विद्यार्थियों में जिम्मेदारी, आत्मनिर्भरता और वास्तविक अध्ययन की आदत भी विकसित करता है।
इस टेस्ट में छात्रों से उनके प्रोजेक्ट या असाइनमेंट से संबंधित सवाल एक निश्चित समय-सीमा में पूछे जाते हैं। सवालों का स्वरूप ऐसा होता है कि केवल वही छात्र सही जवाब दे सकता है जिसने विषय पर वास्तव में अध्ययन किया हो। यदि छात्र समय पर सही जवाब दे देता है तो माना जाता है कि उसने प्रोजेक्ट स्वयं तैयार किया है और विषय को समझा भी है। गूगल टेस्ट का उद्देश्य एआई-जनित प्रोजेक्ट और स्वयं किए गए कार्य के बीच स्पष्ट अंतर पहचानना है।
Published on:
09 Dec 2025 05:35 pm
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