MP News: एमपी के भोपाल शहर की महिलाओं में खून की कमी है। परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार राजधानी में खून की कमी के कारण 15 से 49 वर्ष की आयु की लगभग 68 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं। जबकि प्रदेश में यह आंकड़ा 54.7 प्रतिशत है। यही नहीं, भोपाल की करीब 58.4 प्रतिशत किशोरियां भी एनीमिया से पीड़ित हैं। इनमें गांवों की महिलाओं के अलावा पढ़ी लिखी युवतियां भी शामिल हैं।
एनीमिया जिसे आम भाषा में 'खून की कमी' भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के अन्य भागों तक पहुंचाने में मदद करता है। एनीमिया होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे थकान, कमजोरी, और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं।
पोषण की कमी: धार्मिक वजहों से अंडा आदि का कम सेवन
गर्भधारण की दिक्कतें: बार-बार प्रसव से आयरन स्टोर खत्म होना
अत्यधिक मासिक धर्म: शारीरिक वजहों अत्याधिक रक्तस्राव
आयरन: फोलिक गोलियों से परहेज
थकान और चक्कर: गंभीरता से न लेना
राज्य की 53 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं के लिए आवंटित फंड का लगभग 40 प्रतिशत भी उपयोग नहीं हो पाया।
आयरन की कमी से एनीमिया होता है। इससे थकान, कमजोरी, चक्कर आना और त्वचा का पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
आयरन आयरन शरीर के लिए जरूरी मिनरल है। यह हीमोग्लोबिन बनाने में अहम भूमिका निभाता है। हीमोग्लोबिन ब्लड में ऑक्सीजन को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाने का काम करता है। इसलिए शरीर में आयरन बेहद जरूरी है।
जल्द ही स्कूल और कॉलेज स्तर पर एनीमिया के खिलाफ जागरुकता अभियान शुरू किया जाएगा। युवतियों को पर्याप्त आयरन युक्त आहार लेने के लिए प्रेरित करेंगे। सरकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से क्रियान्वित कर और आइएफए वितरण को मजबूत करके महिलाओं को एनिमिक होने से बचाया जा सकता है। डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ, भोपाल
Published on:
10 Aug 2025 11:29 am