
Cough Syrup Banned: स्वास्थ्य विभाग का बड़ा फैसला, दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं मिलेगा कफ सिरप(Photo-patrika)
Cough Syrup Case : मध्य प्रदेश में 'जहरीले कफ सिरप' कांड के बीच खासतौर पर राजधानी भोपाल में बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार के मामलों में मौसम में परिवर्तन की वजह से 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जेपी, हमीदिया और अन्य अस्पतालों में खांसी-बुखार से पीड़ित बच्चों को डॉक्टर कफ सिरप प्रेस्क्राइब नहीं कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो एनिमिया में सिंगल मॉड्यूल वाला सिरप इस्तेमाल हो रहा है। सब्सटीट्यूट कंबिनेशन वाले सिरप भी बैन है। डॉक्टर बच्चों को एंटीबायोटिक और पैरासिटामोल लिख रहे हैं। नेबुलाइजेशन के साथ हल्का पीठा पानी देने और गर्म पानी का भांप देने की सलाह दी जा रही है।
उधर, एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने कहा कि, कोई भी मेडिकल स्टोर्स अगर बिना फार्मासिस्ट के चल रहा है तो पंजीयन निरस्त किया जाएगा। लापरवाही मिलने पर संबंधित व्यक्ति पर 2 लाख तक के जुर्माने या 3 महीने तक की सजा का प्रावधान है।
प्रतिबंधित कफ सिरप कोल्ड्रीफ, रीलाइफ और रेस्पीफ्रेश टीआर के विवाद के बाद फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए प्रदेश के सभी एक लाख 75 हजार से अधिक पंजीकृत मेडिकल स्टोर की पड़ताल करेगा। इसी क्रम में राजधानी के करीब 2800 मेडिकल स्टोर की जांच के लिए 6 टीमों को लगाया गया है। हर टीम में 2-2 ड्रग्स इंस्पेक्टर हैं। टीम 14 से 15 घंटे काम करते हुए एक दिन में 4 से 5 दवा दुकानों की जांच कर रही है। जांच का उद्देश्य अमानक दवाओं का पता लगाते हुए नमूने संग्रह करना है। जांच लगातार तीन महीने तक चलेगी।
-एफडीए प्रयोगशाला, ईदगाह हिल्स
-इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर लैब में भी गुणवत्ता परीक्षण
-चारों लैब की सालभर में 6000 सैंपल जांचने की क्षमता
-हर साल 8000 से ज्यादा नमूने जांच के लिए पहुंचते हैं
-1500 से अधिक दवाओं के नमूनों की जांच अभी वेटिंग में
-8 से 12 माह मिलती है दवाओं की जांच रिपोर्ट
-प्रदेश में कुल 80 ड्रग्स इंस्पेक्टर की ही तैनाती
-प्रत्येक को प्रतिमाह पांच सैंपल लेना जरूरी
-लैब में हर साल 4800 सैंपल जांच के लिए पहुंचते हैं
-हर साल प्रदेश में 25 से ज्यादा दवा के नमूने मिलते हैं अमानक
जय प्रकाश जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.पीयूष पंचरत्न ने बताया कि कफ सिरप 4 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए उपयुक्त दवा ही नहीं है। कफ सिरप बच्चों के कफ को दबा देता है। इससे निमोनिया होने का खतरा रहता है। इसलिए सर्दी-खांसी और बुखार वाले बच्चों को एंटीबायोटिक और पैरासिटामल देने की सिफारिश की जाती हैं और उन्हें नेबुलाइजेशन करते हैं। जीएमसी के शिशु रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. राजेश टिक्कस ने बताया कि प्रतिबंधित कफ सिरप को छोडकऱ जरूरत के अनुसार बच्चों को इंजेक्शन और सिंगल मॉड्यूल वाले सिरप देते हैं।
एफडीए ने अब तक संदिग्ध अमानक दवाओं के 6000 हजार नमूने संग्रह किए गए हैं। जांच की गति बढ़ाने के लिए लैब की जांच क्षमता को 6 हजार प्रति वर्ष से बढ़ाकर 30 हजार करने की तैयारी है।
Updated on:
09 Oct 2025 01:21 pm
Published on:
09 Oct 2025 12:33 pm
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