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एमपी में मिले दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार, आईआईएसईआर ने शुरु किया परीक्षण

IISER - कटनी और जबलपुर जिलों से मिले खनिजों के नमूने आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों को सौंपे

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IISER begins testing rare minerals found in MP

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IISER- मध्यप्रदेश अपनी वन संपदा के साथ ही खनिज संपदा के लिए भी जाना जाता है। यहां कोयले के बड़े भंडार हैं, पन्ना में तो हीरा भी निकलता है। प्रदेश में अब सोना और दुर्लभ खनिजों के भंडार भी मिले हैं। कटनी में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव में प्रदेश के खनिज संसाधन विभाग ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) से करार किया था जिसपर क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है। प्रथम चरण में कटनी और जबलपुर जिलों से मिले खनिजों के नमूने आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों को सौंपे गए हैं। इस प्रकार मध्यप्रदेश, खनिज आधारित आर्थिक विकास का केंद्र बनने की राह पर है।

एमपी में रेयर अर्थ मिनरल्स यानि दुर्लभ खनिजों, सोने और दूसरे महत्त्वपूर्ण खनिजों के वैज्ञानिक अन्वेषण की प्रक्रिया तेज हो गई है। प्रदेश के खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव और डीजीएम फ्रैंक नोबल ए. ने आईआईएसईआर टीम को कटनी और जबलपुर जिलों की खदानों से संभावित रेयर अर्थ मिनरल्स के नमूने उपलब्ध कराए हैं।

रेयर अर्थ मिनरल्स और सोने की संभावनाओं पर फोकस

आईआईएसईआर के वैज्ञानिक इन नमूनों का उच्च स्तरीय प्रयोगशाला में विश्लेषण करेंगे। प्रथम चरण के विश्लेषण में महाकौशल क्षेत्र में उपलब्ध रेयर अर्थ मिनरल्स और सोने की संभावनाओं पर फोकस किया जाएगा।

मध्यप्रदेश में खनिज संसाधन विभाग और आईआईएसईआर की इस संयुक्त पहल को राज्य में खनिजों की वैज्ञानिक अन्वेषण क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताई जा रही है। इससे मध्यप्रदेश को न केवल उच्च गुणवत्ता वाले भू-वैज्ञानिक आंकड़े प्राप्त होंगे बल्कि आगामी अन्वेषण कार्यक्रमों को दिशा भी मिलेगी। महत्त्वपूर्ण खनिजों के नए भंडार चिन्हित करने में सहायता भी मिलेगी।

अन्य जिलों से प्राप्त खनिज नमूनों का भी होगा परीक्षण

एमओयू के तहत आईआईएसईआर को आगामी चरणों में अन्य जिलों से प्राप्त खनिज नमूने भी परीक्षण के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग को देखते हुए यह पहल मध्यप्रदेश को खनिज आधारित आर्थिक विकास के उभरते केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी। खनिज अधिकारियों के अनुसार यह एमओयू तकनीक आधारित खनिज अन्वेषण के नए आयाम खोलने के साथ ही राज्य की दीर्घकालिक रिसोर्स सिक्योरिटी को भी मजबूत करेगा।