
Jagdeep dhankhad in bhopal MP(फोटो: सोशल मीडिया)
Jagdeep Dhankhad in Bhopal: मित्रों हम कठिन समय में जी रहे हैं, जहां धारणा ही सबकुछ तय करती हैं, फिर आप कितना ही नकारते रहो। इसे मुझसे अधिक कोई नहीं समझ सकता। यह बात पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भोपाल में शुक्रवार को कही। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन समारोह में हिस्सा लेने आए थे। यह भी कहा कि भगवान करे कोई नैरेटिव में न फंस जाए... नैरेटिव का शिकार बनाना चाहते हैं। ऐसे नैरेटिव से व्यक्तिगत तो लड़ नहीं सकते, लेकिन संस्था लड़ सकती है।
पुस्तक का हवाला देते हुए धनखड़ (Jagdeep Dhankhad in Bhopal) ने कहा, लंबे समय तक आरएसएस को लेकर गलत धारणा पैदा की गई, गांधी की हत्या को अलग स्वरूप में बताया गया, लेकिन समय के साथ अब सब एक्सपोज हो गए। समारोह में भारत की मूल अवधारणा, आत्मगौरव, सांस्कृतिक चेतना और अध्ययनशील परंपरा पर व्यापक चर्चा हुई। जिसमें आनंदम धाम आश्रम, वृंदावन के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज, सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली और लेखक डॉ. मनमोहन वैद्य ने अपने विचार प्रकट किए।
पूर्व उप राष्ट्रपति धनखड़ (Jagdeep Dhankhad in Bhopal) ने संबोधन के शुरूआत में कहा कि 4 माह बाद सभागार में तालियां गूंजी। पुस्तक को लेकर कहा, यह पुस्तक उमीद की एक किरण है। यह ऐसी पुस्तक है कि सोए हुए को जगा देगी। कहा, मैंने विचार-विमर्श के बाद तय किया है कि आगे में अंग्रेजी में बोलूंगा। उन्होंने इसका मतलब बताते हुए कहा कि जहां से चुनौती आ रही है, जो समझ नहीं रहे हैं, हर हाल में छवि को धूमिल करना चाहते हैं। कहा, आज का भारत तेजी से बदल रहा है, हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है और विश्व मंच पर निर्णायक देश के रूप में उभरा है। बता दें, 21 जुलाई को धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था।
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद के उच्च सदन में भाजपा व आरएसएस के लिए एक तरफा लड़ाई लड़ने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को विमान तल पर सरकार के कोई भी मंत्री रिसीव करने नहीं गए। इसे उन्होंने प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया। बता दें, दिग्विजय ने उनसे मिलने का समय भी मांगा था।
पुस्तक के लेखक डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में जब प्रणब मुखर्जी को संबोधन के लिए आमंत्रित किया था, तब कुछ लोगों ने बिना कारण विरोध किया। इस एक घटना ने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया। यह भी कहा कि संघ पर बेवजह किया गया विरोध कई बार संघ की स्वीकार्यता को और बढ़ा देता है।
जॉइन आरएसएस वेबसाइट का उदाहरण देते हुए कहा कि सिर्फ उस वर्ष अक्टूबर माह में ही 48,890 लोगों ने स्वयंसेवक के रूप में जुड़ने का अनुरोध किया। यह सामाजिक परिवर्तन और संगठन के प्रति बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है। भारत की अवधारणा पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें उन कथनों को समझना होगा जो हमारी सोच को प्रभावित करते हैं। लोकप्रिय गीत 'सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' की पंक्ति 'हम बुलबुले हैं इसके' पर कहा कि ऐसे भाव हमें अपनी मूल चेतना से दूर करते हैं। यह कहना गलत है कि भारत में सांस्कृतिक विविधता है। बल्कि यह कहना अधिक सही है कि भारत की संस्कृति एक ही है जो विविध रूपों में प्रकट होती है।
राजधानी भोपाल के एयरपोर्ट पर पहुंचे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad in Bhopal) की अगवानी के लिए कोई भाजपा नेता नहीं पहुंचा। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए वही अहम होता है, जो उनके काम आए। उन्होंने भाजपा पर तंज किया कि 'यूज एंड थ्रो' यही नीति है भाजपा की।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि धनखड़ RSS कार्यक्रम में आए हैं, इसलिए उनके कार्यक्रम पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। उन्होंने यह भी कहा कि मनमोहन वैद्य वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने गोमांस खाने पर संघ की कोई आपत्ति नहीं वाला बयान दिया था।
दिग्विजय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर की। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि- पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी का भोपालआगमन पर स्वागत है। साथ ही ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद के उच्च सदन में भाजपा आरएसएस के लिए एक तरफा लड़ाई लड़ने वाले जगदीप धनखड़ जी को भोपाल विमान तल पर कोई भी सरकार का मंत्री रिसीव करने नहीं आया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये तो वीआईपी प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन है। कायदे से मुख्यमंत्री को उन्हें रिसीव करना चाहिए था, जबकि धनखड़ जी आरएसएस के कार्यक्रम में शिरकत करने आए हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि मैंने पूर्व उपराष्ट्रपति जी का कुशलक्षेम जानने के लिए उनसे मिलने का समय मांगा था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया। फिलहाल मेरी सहानुभूति जगदीप धनखड़ जी के साथ है क्योंकि वे बड़े किसान नेता हैं। राज्यसभा में हमारे माननीय सभापति थे।
बता दें कि धनखड़ ने 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र से पहले इस्तीफा दिया था। उसके बाद वे किसी सार्वजनिक मंच पर संबोधित करते नहीं दिखे। वे केवल 12 सितंबर को नए उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में देखे गए थे।
Published on:
22 Nov 2025 12:38 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
