AQI in cities of Madhyapradesh: राजधानी भोपाल का हाल, सबसे प्रदूषित जबलपुर।
MP news: प्रदेश में दिवाली पर आतिशबाजी और बदलते मौसम के असर से कई शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के करीब पहुंच गई। रहवासी, औद्योगिक क्षेत्रों की हवा में भी 'जहर' घुल गया। प्रदेश सहित देश के कई शहर 'गैस चैंबर' बन गए। 20 अक्टूबर शाम 6 से 21 की शाम 6 बजे तक का औसत देखें तो प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा जबलपुर में गुप्तेश्वर के पास रही। 24 घंटे का औसत एक्यूआइ 376 रहा। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, सागर आदि शहरों में भी एक्यूआइ 300 के ऊपर रहा। एक्यूआइ 200 से ऊपर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।
हवा को प्रदूषित करने वाला प्रमुख तत्व पीएम-2.5 या अति महीन कण पाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रदूषण का असर 24 घंटे और रहेगा। ऐसे में श्वांस रोगियों और अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लाइव मॉनिटरिंग में यह आंकड़े सामने आए हैं। दिवाली से पहले शहरों का एक्यूआइ 100-150 के करीब था, वह दीपावली की रात 300 के ऊपर पहुंच गया। पटाखों के धुएं से हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ गया। भोपाल में बीते साल इसी अवधि में प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम था। इस साल और बढ़ गया। बीते साल औद्योगिक शहर पीथमपुर, मंडीदीप में प्रदूषण का स्तर कम था। इस बार एक्यूआइ मंडीदीप में 247, पीथमपुर सेक्टर 2 में 332 दर्ज किया गया।
शहरों में छाई धुंध विशेषज्ञों के अनुसार रात का तापमान कम होने लगा है। जब ठंड बढ़ती है तो हानिकारक छोटे कण ऊपर नहीं उठ पाते। नीचे ही स्मॉग की परत बना लेते हैं। यही वजह है कि दिवाली की रात कई शहरों में धुंध की परत छाई रही। गर्मी में गर्म हवाओं के साथ यह कण ऊपर चले जाते हैं। रहवासी इलाकों में नुकसान नहीं करते। सर्दी के मौसम में यह कण ज्यादा देर तक हमारे आसपास ही रुकने के कारण फेफड़ों में एलर्जी पैदा करते हैं।
देश के छोटे शहरों में हवा साफ रही। एमपी के बैतूल में 24 घंटे का औसत एक्यूआइ 156, कटनी में 167, खरगोन में 170 और मैहर में 195 रहा। नीमच में सबसे कम 5 रहा।
दीपावली की रात मध्यप्रदेश के उज्जैन, रीवा, पन्ना, सतना में मॉनिटरिंग ही नहीं हो पाई। अन्य शहरों के कुछ स्थानों पर लाइव मॉनिटरिंग का डेटा नहीं मिल पाया। एमपीपीसीबी ने इसे जारी नहीं किया। अधिकारियों के अनुसार संभवत: मशीनों में गड़बड़ी के कारण यह स्थिति बनी।
नई दिल्ली@पत्रिका. उधर दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में भी हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' व 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई। औसत एक्यूआइ 531 तक पहुंच गया। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है।
गौरतलब है कि दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान ग्रैप-2 के नियम पहले से लागू हैं। इसके बावजूद हवा में जहरीले कणों की मात्रा बढ़ गई।
हरियाणा: सोमवार रात 12 तक 15 जिलों में एक्यूआइ 500 तक पहुंच गया था।
मुंबई: कई इलाकों में दिवाली के दिन एक्यूआइ 375 तक पहुंच गया। मंगलवार सुबह कुछ राहत मिली।
राजस्थान में मंगलवार सुबह 8 बजे तक एक्यूआइ 243 रहा। भिवाड़ी में राज्य में सबसे ज्यादा एक्यूआइ 318 रिकॉर्ड किया गया।
लखनऊ में 222 और कानपुर में 203 एक्यूआइ दर्ज किया गया।
उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई।
दिल्ली-एनसीआर के साथ लखनऊ, पटना, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, जयपुर और चंडीगढ़ में धुंध की मोटी परत छाई रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार कई शहरों में एक्यूआइ 400 से पार गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में है।
Published on:
22 Oct 2025 09:39 am
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