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एमपी से गुम होने वाली नाबालिग लड़कियों को लेकर PHQ का चौंकाने वाला खुलासा

MP News: मध्य प्रदेश में सुरक्षित नहीं लाड़लियां, नाबालिगों के गुम होने के मामलों में phq की महिला अपराध शाखा ने तैयार की रिपोर्ट, NCRB की रिपोर्ट ने भी किया शॉक्ड... अब बदलेगा काम करने का तरीका, जानें ऐसे मामलों में कैसे होगी निगरानी, कैसे रिपोर्ट होंगी तैयार?

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MP News PHQ Shocking Reveal in report of minor girls missing case

MP News PHQ Shocking Reveal in report of minor girls missing case

MP News: प्रदेश से गायब हो रहीं 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को लेकर पीएचक्यू (PHQ) की महिला शाखा ने चौंकाने वाले आंकड़े तैयार किए हैं। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश से गुम होने वाले नाबालिगों में सबसे ज्यादा 15 से 18 साल की लड़कियां रहीं। बीते एक साल के दौरान प्रदेश से लापता लड़कियों के कुल मामलों में यह आंकड़ा ७० फीसद के करीब रहा। पुलिस विभाग के अनुसार प्रदेश में अब भी इस उम्र सीमा वाली करीब 2400 लड़कियां गायब हैं। जिनकी तलाश की जा रही है।

PHQ की महिला अपराध विंग द्वारा तैयार आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश से हर साल औसतन 10 से 12 हजार लड़कियाें के गायब होने की शिकायतें सामने आती हैं। यानी हर माह औसतन 1000 लड़कियां प्रदेशभर से गुम हो रही हैं। चिंता की बात ये है कि इनमें से करीब 700 केस ऐसे हैं जो पिछले सात साल से लंबित हैं।

ऑनलाइन डैशबोर्ड से होगी निगरानी

नाबालिग लड़कियों के लापता होने के मामलों को तेजी से सुलझाने के लिए पीएचक्यू द्वारा एक डैशबोर्ड तैयार करवाया जा रहा है। जिसमें सभी जिलों से नाबालिग बच्चियों के गायब होने के प्रकरणों (Minor Girl Missing Case) और उस केस की स्टेटस रिपोर्ट को ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। इसकी रियल टाइम निगरानी करने के बाद हर माह महिला शाखा के एडीजी द्वारा समीक्षा रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

चार कैटेगरी में तैयार होंगी जिलों की रिपोर्ट

उत्कृष्ट: लंबित में कमी या 30 प्रतिशत से अधिक केसों में पता लगाना एवं लंबित में 10 प्रतिशत से कम वृद्धि।

अच्छी: 30 प्रतिशत से अधिक पतासाजी एवं लंबित में 20 से कम वृद्धि।

औसत: प्रदेश में औसत से अधिक पतासाजी एवं लंबित संया में 20 प्रतिशत से कम की वृद्धि।

असंतोषजनक: उपरोक्त तीनों मापदंड पूरा नहीं करने और निराशाजनक प्रदर्शन पर।

भोपाल में 12% मामले बढ़े, इंदौर दूसरे नंबर पर

अगस्त 2025 की स्थिति

3630: अगस्त से पहले के लंबित प्रकरण

1056: अगस्त माह में गुम बालिकाएं

4686: कुल प्रकरण

1387: गुम बालिकाओं की रिकवरी

3299: माह के अंत तक लंबित प्रकरण

29.6%: पतासाजी का प्रतिशत

-स्रोत: पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट

एनसीआरबी रिपोर्ट: महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रही राजधानी

महिला अपराध के मामलों में प्रदेश की राजधानी भोपाल सबसे आगे रही। यहां एक साल में छेड़छाड़ के 12% मामलों में तेजी दर्ज की गई। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में 2022 में 820 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 920 पर जा पहुंचा।

वहीं इंदौर इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राजधानी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। यहां हर दिन औसतन 2 से 3 मामले दर्ज हुए। वहीं छेड़छाड़ के मामले में संवेदनशील जिलों में ग्वालियर, जबलपुर, सागर भी थे। इन जिलों में महिला सुरक्षा को लेकर प्रयास नाकाफी रहे। एनसीआरबी (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के लगभग हर बड़े जिले महिलाएं के लिए सुरक्षित नहीं थे। यहां महिलाओं और युवतियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं।

नाबालिग लड़कियों के गुम होने के मामलों की हो रही है मॉनिटरिंग

नाबालिग लड़कियों के गुम होने के प्रकरणों की हर माह मॉनिटरिंग हो रही है। पिछले तीन माह में पतासाजी के स्तर में सुधार हुआ है। अगस्त में 1387 बच्चियों का पता लगाया गया है। जिलों में भी मासिक ग्रेडिंग सिस्टम प्रणाली लागू की है।

- अनिल कुमार, स्पेशल डीजी, महिला शाखा

महिला सुरक्षा के प्रयास किए जा रहे हैं

महिलाओं की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शहरों में गश्त, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है। वहीं जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। महिलाओं और युवतियों की सुरक्षा के लिए दुर्गा शक्ति टीम देर रात तक अलर्ट रहती है।

- हरिनारायण चारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर