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Fatty Liver: एमपी के भोपाल शहर में सहित मप्र में फैटी लिवर की समस्या व्यापक आकार ले रही है। पिछले कुछ वर्षों में भोपाल के अस्पतालों में फैटी लिवर के मरीज तेजी से बढ़े हैं। स्वस्थ यकृत मिशन के अनुसार 2.20 लाख लोग इसके मरीज हैं। इसमें से 1.5 लाख लोग नॉन- एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के मरीज हैं। स्थिति को देखते हुए हेपेटोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर इस रोग के जोखिम कम करने के लिए लोगों को उपचार के साथ स्वस्थ आहार और पेय पदार्थों के सेवन करने की सलाह दे रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मोटापा, अनियमित दिनचर्या, शक्कर युक्त पेय और तला-भुना भोजन इसका रोग के प्रमुख कारण बन रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार फैटी लिवर का सबसे बड़ा जोखिम शराब से है। आहार के रूप में बिना चीनी की ब्लैक कॉफी पीने की आदत में शुमार करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने इस रोग से बचने के लिए भोपाल के जीनवशैली को ध्यान में रखते हुए चार खाद्य पदार्थों को सख्ती से कम करने के लिए चेताया है। इनमें शक्कर वाले पेय पदार्थ, सोडा, नारियल तेल व पाम ऑयल आधारित उत्पाद और मक्खन- घी शामिल हैं। इनका अधिक सेवन लिवर में वसा जमा होने की रफ्तार बढ़ाता है। भोपाल में फास्ट-फूड और प्रिजर्व्ड खाद्य पदार्थों का बढ़ता उपयोग भी फैटी लिवर को और गंभीर बना रहा है।
हमीदिया, एम्स और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में आने वाले हर 10 में से 3 मरीजों में लिवर में वसा बढ़ने के शुरुआती संकेत मिलते हैं।
फैटी लिवर के मामले बढ़ने का सबसे कारण फास्ट फूड. मीठे पेय पदार्थ, घंटों बैठकर काम करना और शराब का सेवन है। इससे बचने का सबसे कारगर उपाय स्वस्थ आहार लेना है। इससे 62 से 92 प्रतिशत खतरा कम हो जाता है। तेल घी वाले पदार्थ और शराब का परहेज करना है। कसरत और शारीरिक गतिविधियां बढ़ाना चाहिए।- डॉ. सचिन गुप्ता, हेपेटोलॉजिस्ट
Published on:
19 Nov 2025 04:53 pm
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