Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एमपी में बिजली कंपनियों का खेल, बढ़ाकर दे रहे बिल, गलत बिलिंग का हुआ खुलासा

MP News: भोपाल नगर निगमों में बिजली कंपनी के द्वारा बढ़ाकर बिल दिया जा रहा है। बाकी जगहों पर बिजली कंपनियों को जो घाटा हो रहा है वह निगमों से वसूला जा रहा है। रीवा नगर निगम में जब एनर्जी ऑडिट हुआ तो सामने आया है कि वहां बिजली कंपनी 77% तक गलत बिलिंग कर रही है।

3 min read
Electricity Bill

Electricity Bill

MP News:भोपाल नगर निगमों में बिजली कंपनी के द्वारा बढ़ाकर बिल दिया जा रहा है। बाकी जगहों पर बिजली कंपनियों को जो घाटा हो रहा है वह निगमों से वसूला जा रहा है। रीवा नगर निगम में जब एनर्जी ऑडिट हुआ तो सामने आया है कि वहां बिजली कंपनी 77% तक गलत बिलिंग कर रही है। मंत्रालय में सोमवार को नगरीय विकास विभाग की बैठक में यह आरोप रीवा के महापौर अजय मिश्रा ने लगाए। उन्होंने कहा, अब नगर निगमों से वसूली गई यह अतिरिक्त राशि वापस दिलाई जाए। इसके साथ ही उन्होंने चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि बिल चुकाने की बजाय निगमों को देने की मांग भी रखी गई। वहीं निगमों ने विकास कार्यों के लिए जमीन सीधे नगर निगमों को देने की मांग भी की है।

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में हुई बैठक

नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में हुई प्रदेश के समस्त नगर निगम महापौर और कमिश्नर की उपिस्थति में बैठक का आयोजन हुआ। इस दौरान रीवा के महापौर मिश्रा ने बिजली कंपनियों द्वारा निगमों के साथ किए जा रहे खेल का बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि निगम ने एनर्जी ऑडिट कराया तो बिजली कंपनी की 77% बढ़ी हुई बिलिंग पकड़ में आ गई है। दूसरे बिल नगर निगम के बिल में जोड़े जा रहे थे। अन्य महापौरों ने भी इस बात का समर्थन किया। साथ ही चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि देने की मांग की।

टैक्स वसूली पर एसीएस ने लगाई फटकार

विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने नगर निगम कमिश्नरों को टैक्स वसूली में धीमी गति को लेकर फटकार लगाई। उन्होंने निकाय को आत्मनिर्भर बनाने सती से वसूली करने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि अफसरों को वोट मांगने नहीं जाना है, इसलिए वे सती कर सकते हैं। सतना नगर निगम आयुक्त ने कहा कि सतना शहर का जीआईएस सर्वे नहीं हुआ है, ऐसे में कैसे पता चलेगा कि यहां कितने हाउस होल्ड हैं।

इस पर एसीएस दुबे ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको भगवान यह बताने नहीं आएंगे। भवन अनुज्ञा निगम देता है तो उसका पूरा डेटा आपके पास ही होगा। सर्वे भी करा सकते हैं। एसीएस ने जबलपुर ननि कमिश्नर को कचरा प्रबंधन में लापरवाही को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि इतना बड़ा संयंत्र लगा होने के बावजूद कचरे के पहाड़ बन रहे हैं। उन्होंने खर्च घटाने और आय बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि निकाय अपने रूटीन खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं। कई निकायों में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है, निकाय इसका खुद आकलन करें।

निगम को दें जमीन

महापौरों ने जमीन हाउसिंग बोर्ड को देने की बजाय निगम को देने की मांग रखी। कहा, कलेक्टर गाइडलाइन की दर से निगम भी राशि जमा करा सकते हैं। इससे विकास कार्य तेज होंगे। लीज फ्रीहोल्ड की प्रक्रिया भी आसान करने की मांग रखी गई।

नई अवैध कॉलोनियों पर हो सख्त कार्रवाई

महापौरों ने कहा कि पुरानी जो अवैध कॉलोनियां विकसित हो गई हैं उनके खिलाफ कार्रवाई मुश्किल है क्योंकि कॉलोनाइजर प्लॉट या मकान बेच चुका है। इससे वहां रहने वाले लोगों को परेशानी होगी। इसलिए जो अवैध कॉलोनियां अभी बन रही हैं उन्हें सती से रोका जाना चाहिए। महापौरों ने वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट को जारी रखने के लिए नियुक्ति के अधिकार भी मांगे ताकि वे प्रोजेक्ट के लिए नियुक्तियां कर सकें। मंत्री विजयवर्गीय ने सभी महापौर से वन-टू-वन चर्चा भी की।

तीन माह में ही क्यों उखड़ जाती हैं सड़कें

एसीएस ने आयुक्तों और अन्य अधिकारियों से पूछा कि निकायों में तीन माह में ही सड़कें क्यों खराब हो जाती हैं? उन्होंने कुछ सड़कों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सड़क बीस वर्ष बाद भी खराब नहीं हुई। निकाय ऐसी सड़कें क्यों नहीं बनाते हैं। सड़कों खराब होने की समय सीमा तय करें और गारंटी पीडियड पर ठेकेदारों से उन्हें दुरुस्त कराएं। उन्होंने फेस रिकॉग्निशन सिस्टम सती से लागू करने के लिए कहा। स्थापना व्यय भी 65 प्रतिशत तक सीमित करने को कहा। एसीएस ने बिजली खर्च कम करने, पेट्रोल-डीजल की खपत कम करने, ईवी को बढ़ावा देने के भी निर्देश दिए।