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Dharmendra’s Political Journey: ही-मैन ने पहली बार महसूस किया था सूरसागर का ‘जख्म’, धर्मेंद्र की ऐसी रही छाप जो हमेशा रहेगी याद

Former MP Dharmendra Deol: धर्मेंद्र का 5 साल का संसदीय कार्यकाल बीकानेर के लिए यादगार रहा। उन्होंने सूरसागर झील के सुधार, शहर और गांवों की सड़कों के उन्नयन, पीबीएम अस्पताल के लिए मशीनें भी उपलब्ध करवाई।

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Dharmendra-Memories

फाइल फोटो: पत्रिका

Iconic Bollywood Actor Dharmendra's Rajasthan Story: सिनेमा के परदे पर देहाती सादगी के प्रतीक। राजनीति में सरल स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले धर्मेंद्र अब नहीं रहे। अपने 5 वर्ष के संसदीय कार्यकाल में वे बीकानेर भले ही कम आएं हो लेकिन जब भी आए काम की जड़ तक पहुंचे।

उनका शहर से सबसे भावुक जुड़ाव रहा सूरसागर, जिसे उन्होंने बीकानेर का नासूर कहा था। इस झील को पहली बार उन्होंने गंभीरता से देखा। विभागों के तमाम अधिकारियों को स्थल पर बुलाकर आदेश दिए कि 'पैसा चाहे जितना लगे, यह घाव भरना जरूरी है। सूरसागर बीकानेर की शोभा बनना चाहिए, शर्म नहीं।' इसी दृढ़ता ने सूरसागर के दिनों को बदलना शुरू किया। धर्मेंद्र ने शहर और गांवों की सड़कों को बेहतर बनाने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कई ग्रामीण इलाकों में कच्ची सड़कों को पक्का करवाया।

Dharmendra Former Member Of Lok Sabha: बीकानेर को हमेशा दी प्राथमिकता

फिल्मों में अंजान गांवों, मिट्टी की खुशबू और इंसानियत से भरे किरदार निभाने वाले धर्मेंद्र ने राजनीति में भी उसी भाव को जिया। अपनी व्यस्तताओं के बावजूद उन्होंने बीकानेर को हमेशा प्राथमिकता दी। वे उन नेताओं में रहे जिन्होंने संसद में और मैदान में, दोनों जगह बीकानेर की आवाज बनकर काम किया।

Bikaner: पीबीएम अस्पताल के लिए संवेदना और संकल्प

धर्मेंद्र के कार्यकाल की एक और यादगार पहल थी पीबीएम अस्पताल का उन्नयन। उन्होंने मरीजों के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता समझी और न्यूरोलॉजी विभाग में जांच मशीनें अपने सांसद कोटे से उपलब्ध कराईं। बीकानेर के चिकित्सकीय ढांचे को मजबूत करने की उनकी यह छोटी-सी पहल आज भी मरीजों को राहत दे रही है।

पानी की किल्लत पर भी रहा ध्यान

बीकानेर की सबसे पुरानी पेयजल समस्या की ओर भी धर्मेंद्र ने गंभीरता से कार्य किया। उन्होंने कई गांवों तक नई पाइपलाइनें मंजूर कराईं, जिससे वर्षों पुरानी जल संकट की स्थिति में राहत मिली। नहरी क्षेत्रों में जल निकासी और सिंचाई सुधार की कई परियोजनाओं को भी उन्होंने केंद्र से स्वीकृति दिलाई। यह वह काम था, जिसका असर आज भी किसानों और ग्रामीण घरों तक दिखाई देता है।