Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

श्वेतार्क से गढ़ा अलौकिक स्वरूप, रिद्धि-सिद्धि सहित विराजमान गणेश

धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि श्वेतार्क गणेश की पूजा से धन, ज्ञान, भक्ति, शांति और समस्त विघ्नों का निवारण होता है। भगवान गणेश सबसे बड़े रक्षक तथा सभी कार्यों को सिद्ध करने वाले देवता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि जहां श्वेतार्क गणपति विराजते हैं, वहां किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती है। दुजारी गली ​िस्थत पुरोहित निवास में विराजमान श्वेतार्क से बनी गणेश मूर्ति दशकों से श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है। इस मूर्ति पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है। दस दिवसीय गणेश पूजन महोत्सव में गणेश भक्त इस मूर्ति का दर्शन -पूजन कर अपनी मनोकामनाएं भगवान गणेश के समक्ष रखते है।

बीकानेर. विघ्नविनाशक, मंगलकारी और रिद्धि-सिद्धि प्रदाता भगवान गणेश के स्वरूप अनेक हैं, किंतु श्वेतार्क गणेश उनमें अद्वितीय माने जाते हैं। सफेद आक की जड़ से धरा रूपी यह प्रतिमा दिव्य, चमत्कारी और एक शताब्दी से अधिक प्राचीन है। शहर की दुजारी गली स्थित पुरोहित निवास में विराजमान यह मूर्ति श्रद्धालुओं की आस्था का अनूठा केंद्र है।

अलौकिक छटा,विविध शृंगार

त्रिनेत्र, दांयी सूंड और चतुर्भुज स्वरूप वाले श्वेतार्क गणेश खड़ी मुद्रा में विराजमान हैं। भाल पर सूर्य-चंद्र अंकित है और हाथों में मोदक, शंख, फास व आशीर्वाद की मुद्रा है। पारंपरिक आभूषणों से सजी रिद्धि-सिद्धि संग यह प्रतिमा भक्तों को दिव्य अनुभूति कराती है। गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक यहां विशेष पूजन होता है। दस दिवसीय उत्सव में मूर्ति का विविध स्वरूपों पगड़ी, मुकुट और राजस्थानी साफा से श्रृंगार किया जाता है, जो भक्तों को अद्वितीय आभा का अनुभव कराता है।

गुरु आशीर्वाद से मिला दिव्य स्वरूप

एडवोकेट सोमदत्त पुरोहित के अनुसार, उनके दादाजी छोटूलाल पुरोहित परम गणेश भक्त और संत बालकदास के शिष्य थे। गुरु भक्ति और आस्था से प्रसन्न होकर संत बालकदास ने उन्हें यह दुर्लभ मूर्ति आशीर्वाद स्वरूप भेंट की थी। तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार और श्रद्धालु निरंतर पूजन-अर्चन कर रहे हैं। अब उनके परिवार में पांचवी पीढ़ी श्वेतार्क गणेश के दर्शन और पूजन कर रही है। गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक नित्य बड़ी संया में श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन के लिए आते हैं और मूर्ति को मौळी बांधकर अपनी मनोकामनाएं भगवान गणेश के समक्ष रखते हैं।

19 साल 6 माह, पुष्य नक्षत्रों में बनी मूर्ति

एडवोकेट पुरोहित के अनुसार, श्वेतार्क गणेश की मूर्ति 19 वर्ष 6 माह में बन कर तैयार हुई। प्रत्येक पुष्य नक्षत्र के दिन और समय में ही इस मूर्ति को बनाने का कार्य होता था। विधि विधान पूर्वक मूर्ति को बनाने के साथ-साथ मंत्रोच्चारण और सविधि प्रतिष्ठित हुई। इस मूर्ति को गाजे-बाजे के साथ उनके निवास पर लाया गया था।

शास्त्रों में श्वेतार्क गणेश

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार, धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि श्वेतार्क गणेश की पूजा से धन, ज्ञान, भक्ति, शांति और समस्त विघ्नों का निवारण होता है। भगवान गणेश सबसे बड़े रक्षक तथा सभी कार्यों को सिद्ध करने वाले देवता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि जहां श्वेतार्क गणपति विराजते हैं, वहां किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती है।


पत्रिका कनेक्ट