बीकानेर: भारतीय वायुसेना की रीढ़ और दशकों तक देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा करने वाला दिग्गज लड़ाकू विमान MiG-21 अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है। वायुसेना 26 सितंबर 2025 को इसे औपचारिक रूप से ऑपरेशनल भूमिका से विदा करेगी।
बता दें कि इससे पहले वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने बीकानेर के नाल एयरबेस से MiG-21 में उड़ान भरकर इस ऐतिहासिक क्षण को सलामी दी। एयर चीफ मार्शल सिंह के लिए यह भावुक पल रहा।
दरअसल, उन्होंने साल 1985 में अपने करियर की पहली ऑपरेशनल उड़ान इसी विमान से भरी थी। सिंह ने कहा, MiG-21 ने भारतीय वायुसेना की ताकत को नई ऊंचाई दी। यह तेज, फुर्तीला और सरल डिजाइन वाला विमान है। हर पायलट के लिए इसे उड़ाना गर्व का विषय रहा।
MiG-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। सबसे पहले इसे 28 स्क्वॉड्रन में चंडीगढ़ में तैनात किया गया। यह भारत का पहला सुपरसोनिक विमान था, इसलिए इसे “द फर्स्ट सुपरसोनिक्स” नाम मिला। इसके बाद यह विमान छह दशकों तक वायुसेना की रीढ़ बना रहा और हर युद्ध में अपनी क्षमता साबित की।
साल 1965 और 1971 के युद्ध में MiG-21 ने अहम योगदान दिया। 1971 में इसने ढाका स्थित तत्कालीन गवर्नर हाउस पर हमला किया, जिसके अगले दिन गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया। 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने 93 हजार सैनिकों के साथ समर्पण किया।
यह निर्णायक मोड़ भारतीय वायुसेना और MiG-21 की क्षमता का प्रतीक बना। बाद के वर्षों में कारगिल युद्ध (1999) और 2019 के बालाकोट ऑपरेशन में भी इस विमान ने दुश्मन को कड़ा जवाब दिया।
MiG-21 को दुनिया का सबसे लंबा सेवा देने वाला सुपरसोनिक जेट माना जाता है। हालांकि, तकनीक में बदलाव की कमी के चलते यह कई बार हादसों का शिकार भी हुआ। एक दशक में करीब 400 हादसों में 200 से ज्यादा भारतीय पायलट शहीद हुए। इसके बावजूद इसकी भूमिका को कभी कम नहीं आंका गया।
दुनिया भर में 11,000 से अधिक MiG-21 बनाए गए और 60 से ज्यादा देशों ने इसे अपनाया। भारत में यह न सिर्फ सुरक्षा का कवच बना बल्कि विजय की गाथाओं का हिस्सा भी रहा। अब इसकी जगह स्वदेशी तेजस, राफेल और सुखोई-30 ले रहे हैं। आज जब यह विमान ऑपरेशनल सेवा से विदा हो रहा है, तो हर भारतीय के मन में एक ही भावना है, धन्यवाद MiG-21, तुम्हारी गौरवगाथा हमेशा याद रखी जाएगी।
Updated on:
26 Aug 2025 02:17 pm
Published on:
26 Aug 2025 02:11 pm