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दीपावली की रात जब गली-गली गूंजता है…वाह बन्नाटी वाह

दीपावली के दिन जब हर घर, आंगन और पूरा रोशनी से जगमग होता है, उस समय बीकानेर की गलियों में ‘ वाह, बन्नाटी वाह’ की गूंज रहती है। यह प्राचीन परंपरा सिर्फ एक खेल ही नहीं, बल्कि लोक आस्था, साहस हैरत अंगेज प्रदर्शन का संगम भी है। ‘बन्नाटी’ छह फीट की एक लकड़ी के दोनों और सूती कपड़ों से बनाए गए कोड़ो को तेल में ​भिगोकर जलाते है और बच्चों से बुजुर्ग तक इस जलती हुई बन्नाटी के साथ हैरत अंगेज प्रदर्शन करते है।

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बीकानेर. दीपावली की रात जब घरों में लक्ष्मी पूजन होता है, तब बीकानेर के मोहल्लों में एक अलग ही रोशनी और साहस का रोमांच दिखाई देता है। बन्नाटी का। सदियों पुरानी यह परंपरा सिर्फ एक खेल ही नहीं, बल्कि लोक आस्था, साहस हैरत अंगेज प्रदर्शन का संगम भी है।

यह है बन्नाटी

‘बन्नाटी’ छह फीट लंबी बांस की लंबी लकड़ी से बनाई जाती है, जिसके दोनों और सूती कपड़े को कई कोड़ों के रूप में बटकर बनाया जाता है व कोड़ों को लकड़ी के दोनों और बांध दिया जाता है। इन कोड़ों को तेल में भिगोकर रखा जाता है। दीपावली के अवसर पर लकड़ी के दोनों और बंधे कोडों में आग लगाई जाती है व फिर उसे घुमाते है। बन्नाटी को घुमाने के दौरान अद्भुत गोले सा दृश्य उत्पन्न होता है।

कहां और क्यों खेली जाती है:

बीकानेर शहर के मोहल्लों विशेष रूप से बारह गुवाड़ चौक, सूरदासाणी मोहल्ला, ओझा गली, कडावा छंगाणी गली आदि में दीपावली पर लोग बन्नाटी खेलने के लिए एकत्र होते हैं। स्थानीय मान्यता है कि दीपावली की रात देवी-देवता धरती पर आते हैं और अग्नि की यह लपटें उनके स्वागत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक हैं।बारह गुवाड़ के उस्ताद शिवनाथा मारजा ने बीकानेर में इसकी शुरुआत की थी ।

धार्मिक और सामाजिक महत्व:

बन्नाटी को अग्नि की आराधना का प्रतीक माना जाता है। बच्चे और जवान, बालिकाएं इसे खेलते हैं। बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह परंपरा सामूहिकता का भी प्रतीक है, क्योकि गली-मोहल्ले के लोग एक साथ जुटते है। पारंपरिक गीत-दोहे गाते हैं और दीपोत्सव की मंगलकामनाएं देते हैं।

इतिहास और मान्यता

बीकानेर में बन्नाटी की परंपरा प्राचीन है। दीपावली पर जब बन्नाटी खेलार इस जलती हुई बन्नाटी को कभी सिर के ऊपर से, तो कभी पीठ के पीछे से और मुंह के आगे और पांवों के नीचे से घुमाते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि रोशनी के पर्व पर लोग अपने शरीर को अग्नि की लपटों से कवच कर रहे हैं, जो उनके जीवन को सुरक्षित रखे, निरोग रखे। इस बार बीकानेर में 19 अक्टूबर को बन्नाटी खेल का आयोजन होगा।

बन्नाटी खेल आज

बारह गुवाड़ चौक में ‘बन्नाटी’ खेल का आयोजन रविवार को होगा। आयोजन से जुड़े ईश्वर महाराज व इंद्र कुमार के अनुसार रात्रि 8.30 बजे से बन्नाटी का आयोजन होगा। परंपरानुसार बन्नाटी खेल से पूर्व जबरेश्वर महादेव और बन्नाटी के पूर्व उस्तादों शिवनाथा मारजा, फागणिया मारजा सहित दिवंगत उस्तादों, वरिष्ठ खिलाड़ियों का स्मरण किया जाएगा। करीब दो घंटे तक बन्नाटी चलेगी। बन्नाटी खेल से पूर्व शनिवार को खिलाड़ियों ने महाभ्यास किया।