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सत्यापन ने फिर जोड़ी पीहर-बेटी की डोर, जुटा रहीं मायके की पहचान

विशेष गहन पुनरीक्षण : 2002 मतदाता सूची से मिलान के लिए बेटियां मायके के रिकॉर्ड खंगालने में जुटीं

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बज्जू क्षेत्र में एसआइआर सत्यापन को लेकर बढ़ती सक्रियता का दृश्य।

भागीरथ ज्याणी
बज्जू (बीकानेर).
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान तकनीकी प्रक्रिया नहीं रहा। अभियान अब बेटियोंं के पीहर के रिश्तों को भी जोड़ रहा है। शादी के बाद विदा हुई बेटियां अब एसआइआर सत्यापन के लिए अपने पीहर के रिकॉर्ड खोजते हुए एक बार फिर मायके से जुड़ रही हैं। वर्ष 2002 की मतदाता सूची में जिन महिलाओं का नाम नहीं है, उन्हें मायके की पहचान के आधार पर सत्यापित किया जा रहा है। बेटियां अपने माता-पिता से इपिक नंबर, वोटर कार्ड और भाग संख्या जुटा रही है।

लौट आई पुरानी यादें
मतदाता सूची 2002 के आधार पर बीएलओ सीधे महिलाओं के नाम शामिल कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद विवाह के कारण स्थान बदलने से पीहर की सूची से मिलान करके ही नाम जोड़े जा रहे हैं। बीएलओ सर्वे के दौरान बेटियां लगातार पूछ रही हैं, मां, मेरी पुरानी वोटर लिस्ट मिल गई क्या? पापा, आपका इपिक नंबर जल्दी भेजोज् अभी बीएलओ खड़े हैं। एक तरह से एसआइआर ने पीहर-बेटी के रिश्ते की पुरानी डोर जुड़ रही है।

पुरानी सूची एक क्लिक पर उपलब्ध
23 साल पुरानी सूची खोजना एक बड़ी चुनौती थी। इसलिए निर्वाचन विभाग ने सभी पुराने रिकॉर्ड 1शह्लद्गह्म्ह्य. ह्म्ड्डद्भड्डह्यह्लद्धड्डठ्ठ. द्दश1. द्बठ्ठ पर अपलोड कर दिए हैं। अब कोई भी नाम, वार्ड संख्या या भाग संख्या के आधार पर सूची डाउनलोड कर सकता है, जिससे सत्यापन सरल हो गया है।

अधिकारियों की अपील
एसआइआर के फॉर्म समय सीमा में जमा कर दें, ताकि आगे कोई परेशानी न आए।
सांवरमल रैगर, उपखंड अधिकारी, बज्जू