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स्क्रीन की कैद में युवा: मोबाइल व गेमिंग की लत से बिगड़ रहा व्यवहार और भविष्य

ईसीबी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नवीन शर्मा के शोध में सामने आए तथ्य

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आजकल मोबाइल फोन और ऑनलाइन गेम्स युवाओं के जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं, लेकिन यह उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन भी प्रभावित कर रहे हैं। बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर ने इस पर एक अहम शोध किया है, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उनका अध्ययन यह दर्शाता है कि कैसे मोबाइल और गेमिंग की लत युवा पीढ़ी के लिए एक गंभीर संकट बन रही है, जो न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों पर भी नकारात्मक असर डाल रही है।

डिजिटल लत

असिस्टेंट प्रो. डॉ. नवीन शर्मा ने 313 युवाओं पर तीन महीने तक शोध किया, जिसमें यह पाया गया कि 53 फीसदी युवाओं को यह पता है कि वे मोबाइल का अनावश्यक उपयोग कर रहे हैं, लेकिन वे इसे कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे। इसके अलावा 79 फीसदी युवाओं ने माना कि ज्यादा स्क्रीन टाइम उनके सामाजिक व्यवहार और बातचीत को प्रभावित कर रहा है। तकरीबन 91त्न ने यह स्वीकार किया कि मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से उनके शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है।

ऑनलाइन गेम्स का बढ़ता प्रभाव

शोध में यह भी सामने आया कि ऑनलाइन गेम्स युवाओं के जीवन में अलगाव और मानसिक तनाव बढ़ा रहे हैं। 43 फीसदी युवाओं ने माना कि गेमिंग की लत उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रही है, जबकि 61त्न ने यह स्वीकार किया कि गेम्स के बिना वे बेचैन महसूस करते हैं। 77 फीसदी युवाओं का कहना था कि ऑनलाइन गेम्स उनकी भविष्य की योजनाओं पर असर डाल रहे हैं और 57 फीसदी का मानना था कि यह लत आर्थिक नुकसान, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और घरेलू हिंसा की घटनाओं को बढ़ा रही है। अभी तक का सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा था कि 36 फीसदी युवाओं ने माना कि मोबाइल की लत नशे जैसी आदत बन गई है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है।

ऐसे किया अनुसंधान

तीन महीनों में 9 प्रश्नों आधारित प्रश्नावली भरवाई गई। इनसे प्राप्त आंकड़ों को लेकर विश्लेषण किया गया।