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पानी की टंकी बनी काल: घर के आंगन में खेलते-खेलते फिसली नन्हीं परी, चप्पल देखकर शक हुआ तो मिला शव

Bilaspur News: शनिवार दोपहर खेलते-खेलते एक मासूम की सांसें हमेशा के लिए थम गईं। खुली पानी की टंकी में चुपचाप डूबते हुए एक तीन साल की बच्ची ने अपनी जिंदगी खो दी और किसी को पता भी न चला।

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कुएं में डूबने से दो चचेरी बहनों की मौत (Photo Patrika)

कुएं में डूबने से दो चचेरी बहनों की मौत (Photo Patrika)

Big Incident: कोटा क्षेत्र के गांव अमने में शनिवार दोपहर खेलते-खेलते एक मासूम की सांसें हमेशा के लिए थम गईं। खुली पानी की टंकी में चुपचाप डूबते हुए एक तीन साल की बच्ची ने अपनी जिंदगी खो दी और किसी को पता भी न चला। एक पल पहले हंसती-खिलखिलाती परी, अगले ही पल निर्जीव शरीर में बदल गई। हादसे ने पूरे परिवार और गांव को शोक, पछतावे और गहरे सदमे में डूबो दिया है।

ग्राम पंचायत अमने में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। तीन साल की परी वैष्णव, पिता कल्याणदास वैष्णव और माता सरस्वती वैष्णव की इकलौती लाडली, अपने मामा के घर आई हुई थी। रोज की तरह वह आंगन के आसपास खेल रही थी। परिवार को क्या पता था कि कुछ ही मिनटों में खिलखिलाहट चीखों में बदल जाएगी। आंगन के पास बनी पानी की टंकी खुली हुई थी। उसके किनारे गिट्टी का ढेर पड़ा था। खेलते हुए परी उसी ओर चली गई।

हादसा इतनी खामोशी से हुआ कि घर में किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी। कुछ देर बाद जब परिजनों ने बच्ची को आसपास नहीं देखा, तो बेचैनी बढ़ गई। खोजबीन करते हुए जब वे पानी की टंकी के पास पहुंचे, तो परी की चप्पल वहीं पड़ी मिली। शक गहराया और परिजन टंकी की ओर दौड़े। अंदर झांककर देखा तो मासूम पानी में निर्जीव पड़ी थी। हृदय कांप उठा। बिना समय गंवाए उसे निकालकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद परी को मृत घोषित कर दिया। यह सुनते ही अस्पताल में कोहराम मच गया। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। गांव के लोग भी सदमे में हैं।

जांच में जुटी पुलिस

सूचना पर कोटा पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा कार्रवाई कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। गांव में इस हृदयविदारक हादसे के बाद शोक की लहर फैल गई है।

सुरक्षा का इंतजाम नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों में खुले टैंक, कुएं, गड्ढे और निर्माण सामग्री कई बार छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। कवर न होने से हादसों का जोखिम दोगुना होता है। कई जगह शिकायतों के बावजूद ढक्कन, ग्रिल या बैरिकेड नहीं लगाए जाते।