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हाईकोर्ट ने कहा- काम कराने के बाद कर्मियों के ओवरटाइम का भुगतान न करना गलत, 45 दिन में भुगतान का दिया निर्देश

CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रेलवे कर्मचारियों को ओवरटाइम वेतन न देना गलत और अवैधानिक है।

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हाईकोर्ट (Photo source- Patrika)

हाईकोर्ट (Photo source- Patrika)

CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रेलवे कर्मचारियों को ओवरटाइम वेतन न देना गलत और अवैधानिक है। जस्टिस संजय के. अग्रवाल, जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह निर्णय देते हुए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (सीएटी) के आदेश को बरकरार रखा है।

यह मामला साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे, बिलासपुर जोन के इंजीनियरिंग विभाग के 19 रेलवे कर्मचारियों से संबंधित है। ये स्टाफ 2007 से 2010 के बीच ओवरटाइम ड्यूटी पर था। ड्यूटी पूरी होने के बाद उन्होंने ओवरटाइम भुगतान की मांग की। 19 कर्मचारियों के ओवरटाइम का वेतन 40 लाख 22 हजार 837 रुपए बन रहा था। हालाँकि, सीनियर डिविजनल पर्सनल ऑफिसर ने इसे खारिज कर दिया।

45 दिन में भुगतान करना होगा

केंद्र और रेलवे अधिकारियों ने ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की। इसमें दावा किया गया कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने गलत आदेश दिया। रेलवे का तर्क था कि दावा 4 मार्च 2015 को विभाग द्वारा खारिज कर दिया गया था। साथ ही, रेलवे सर्वेंट (वर्किंग आवर्स एंड इंस्टालेशन ऑफ रेस्ट) रूल्स, 2005 की धारा 7(3) के तहत स्टाफ नामित नहीं हैं।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि रेलवे अधिकारियों ने ओवरटाइम की राशि निर्धारित की। रेलवे सर्वेंट्स रूल्स की धारा 7(3) का तर्क भी लागू नहीं होता, क्योंकि निरस्तगी आदेश केवल विलंब पर आधारित था। कोर्ट ने सेंट्रल ट्रिब्यूनल का आदेश जारी रखते हुए रेलवे को निर्देश दिए कि 45 दिनों के भीतर कर्मचारियों के ओवरटाइम का भुगतान करें।

सेंट्रल ट्रिब्यूनल ने स्वीकार किया कर्मियों का दावा

नाराज कर्मचारियों ने 2017 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में आवेदन गठित दिया। ट्रिब्यूनल ने कर्मचारियों के दावे को स्वीकार कर रेलवे को 60 दिन में भुगतान का निर्देश दिया। केंद्र सरकार और रेलवे ने ट्रिब्यूनल के फैसले की समीक्षा के लिए आवेदन किया, जिसे 7 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया गया।