
आशुतोष राणा आज मना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं
Ashutosh Rana Birthday Today: फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में रातों-रात मिली सफलता अक्सर लाजवाब होती है, लेकिन ऐसा कुछ ही एक्टर्स के साथ होता है, क्योंकि आशुतोष राणा को सफलता मिलना इतना आसान नहीं रहा। उनकी कहानी एक ऐसे स्थायी संघर्ष और अटूट समर्पण की गाथा है, जो आज के युवाओं के लिए एक मिसाल है। यह वो सफलता है जो कड़े परिश्रम के बाद भले ही देर से मिले, पर जब आती है तो अपने साथ स्थायी स्वरूप लेकर आती है। आज एक्टर अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं ऐसे में एक्टर के अनुज व प्रख्यात कवि- गीतकार आलोक श्रीवास्तव ने राजस्थान पत्रिका के जरिए उन्हें कुछ यूं जन्मदिन की बधाई दी है...
आशुतोष राणा नाम की जिस बुलंदी का जमाना गवाह है, वो बुलंदी रातों-रात मिलने वाली सफलता का क्षणिक स्वाद नहीं है। उसके पीछे कड़े संघर्ष से सपनों को पूरा करने की एक अंतहीन यात्रा है। वह मेहनत है जिसके बाद आने वाली सफलता भले ही आने में समय ले, किंतु फिर वह अपने स्थायी स्वरूप के साथ ही सामने आती है और फिर सदा के लिए नतमस्तक रहती है।अपनी बड़ी बड़ी सफलताओं को ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में सुख, संकल्प, सामर्थ्य, योग-संयोग यहां तक कि हर छोटी से छोटी घटना को भी गुरूकृपा मानने वाले, हमारे समय के सिद्ध अभिनेता, प्रसिद्ध साहित्यकार, धर्म, दर्शन, आध्यात्म के मर्मज्ञ, चिंतक और विचारक, मेरे आदरणीय अग्रज आशुतोष राणा जी से सीखने के लिए इतना कुछ है जिसका ओर-छोर पाना कठिन है। पर यह कठिनाई भी वे अपनी सहजता और सरलता से आसान कर देते हैं। अपने हर गुण को वे गुर-कृपा ही मानते हैं। शायद इसीलिए, अपने गुरू, पूज्य संत स्वर्गीय श्री देवप्रभाकर शास्त्री ‘दद्दाजी’ का स्मरण व नाम आप, उनसे उनके हर दूसरे वाक्य में सुन सकते हैं। लोग अपने विदेह-गुरुओं को यदा-कदा श्रद्धांजलि देते हैं। आशुतोष राणा अपनी हर श्वास में अपने गुरू को ‘आदरांजलि’ देते हैं।
सफलता के शिखर पर पहुंच कर लोग अक्सर उन राहों को भूल जाते हैं जिन मार्गों ने उन्हें मंजिल तक पहुंचाया है, किंतु आशुतोष राणा जैसा श्रद्धा, आस्था, विश्वास, समर्पण से भरा एकनिष्ठ-शिष्य आपको शायद ही देखने को मिले। आध्यात्मिक चेतना से भरे लोग वही कहते हैं जो सच होता है। और यदि वे ऐसा कुछ कह दें जो सच नहीं है तो उनकी चेतना उसे भी सच कर देती है। जो दूसरों के लिए सच होना कठिन होता है। एक क़िस्सा याद आता है-
मैं, उनके ही विचार बिंदु से आलोकित हुआ, हिंदी शिव तांडव स्तोत्र लिख रहा था। पांच श्लोकों का भावानुवाद पूर्ण कर जब मैंने उन्हें भेजा तो अत्यंत प्रसन्नता और उत्साह भरे स्वर में उनका फोन आया, “छोटे भाई, इसे कल कैलाश खेर जी के स्टूडियो में रिकार्ड करते हैं।” मैं दिल्ली में था और दूसरे दिन एक बहुत आवश्यक मीटिंग लाइनअप थी। मैंने असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा, “भैया कल तो एक बहुत आवश्यक प्रोजेक्ट की मीटिंग है। जो प्रोड्यूसर हैं वे भी मुंबई से ही आ रहे हैं।” वे दो क्षण रुके और बोले, “पर छोटे भाई, मैं तो कल तुम्हें कैलासा स्टुडियो में देख रहा हूं !” यह कहते हुए उनके स्वर में ऐसी आश्वस्ति थी जैसे वे सचमुच उस दृश्य को देख आए हों। इधर-उधर की कुछ बातों के बाद हम दोनों भाइयों का फोनाचार समाप्त हुआ।
असमंजस से भरे अपने मन से मैंने अपनी पत्नी नीतू से कहा, “बड़ी मुश्किल हो गई है। जो प्रोड्यूसर मित्र मुंबई आ रहा है और जो लोग यहां से मीटिंग में शामिल हो रहे हैं, उन्हें मैंने ही समय दिया है और अब अचानक यह परिवर्तन कैसे करूं ?” पत्नी कुछ कहती उससे पहले ही मोबाइल दोबारा बज उठा और सामने से उसी मित्र प्रोड्यूसर का फोन आया जो कल दिल्ली आने वाला था। कहा, “आलोक भाई, क्या हम इस मीटिंग को थोड़ा आगे बढ़ा सकते हैं? या आप जब भी मुंबई आएं हम तब साथ बैठ सकते हैं ?” मैं हतप्रभ था। मेरे कानों में आशु भैया के शब्द Eco कर रहे थे, “पर छोटे भाई, मैं तो कल तुम्हें कैलासा स्टुडियो में देख रहा हूं !”
आप में से बहुतों के लिए यह संयोग हो सकता है। ऐसा होता भी है। पर जब ऐसे संयोग बार बार हों तो कहा जा सकता है- “आध्यात्मिक चेतना से भरे लोग वही कहते हैं जो सच होता है। और यदि वे ऐसा कुछ कह दें जो सच नहीं है, तो उनकी आध्यात्मिक चेतना उसे भी सच कर देती है।” मेरे समक्ष आशु भैया उसी का पर्याय हैं।
सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार आलोक श्रीवास्तव इल्म और फिल्म के क्षेत्र में समान रूप से ख्यातिप्राप्त है। उनके लिखे गीतों, गजलों और कविताओं को गायक जगजीत सिंह, पंकज उधास, हरिहरण, उस्ताद राशिद खान से लेकर महानायक अमिताभ बच्चन और अभिनेता आशुतोष राणा जैसे कई दिग्गजों ने अपनी आवाज दी है।
Updated on:
10 Nov 2025 01:49 pm
Published on:
10 Nov 2025 10:28 am
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