Sholay: लता जी की आवाज और पंचम का जादुई संगीत…. कई लोग 'शोले' के बैकग्राउंड संगीत की तो जमकर तारीफ करते हैं। मगर फिल्म के गानों की तारीफ नहीं करते है, जबकि इसके गानों को 50 साल होने को हैं। मगर आज भी लोकप्रिय हैं।
आनंद बक्शी के गीतों को पंचम ने सुरों में पिरोया। गीत संगीत दोनों शानदार हैं। महान नहीं है, मगर फिल्म को महान बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आइए फिल्म के गानों की चर्चा करते हैं…
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंंगे, किशोर दा और मन्ना दा का गाया यह गीत आज भी दोस्ती के गीतों में सबसे ऊपर है। बक्शी जी ने दो साधारण चोर की सोच के हिसाब से ही गीत के बोल लिखें हैं, मगर पंचम ने जबरदस्त संगीत दिया। इसमें सिटी मनोहारी सिंह ने बजाई और मिलन गुप्ता ने माउथ आर्गन बजाया, इसके अलावा हारमोनियम, रुबाब, सारंगी, चिमटा जैसे कई तरह के वाद्ययंत्रों का उपयोग किया गया।
इस गाने में धर्मेंद्र के लिए किशोर ने गाया और अमिताभ के लिए मन्ना दा। धर्मेंद्र की लाइन उनके चरित्र के हिसाब से हल्के फुल्के (खाना पीना साथ है) थे, वहीं, अमिताभ के थोड़े गंभीर (मरना जीना साथ है) जैसा उनका चरित्र था। कमाल का संगीत जब तक है जां जाने जहां में नाचूंगी- क्यूंकि ये फिल्म की सिचुएशन और गाना कमर्शियल है, इसलिए लोगों का ध्यान नहीं जाता। मगर गायकी की लिहाज से ये लता जी के श्रेष्ठ गानों में से एक है।
कभी आप इसे शांत भाव के सुनें। इसमें पंचम ने ऐसा संगीत दिया है कि लगता ही नहीं स्टूडियो में रिकॉर्ड हुआ, ऐसा लगता है, गब्बर के अड्डे पर ही पहाड़ों के पीछे कहीं, छिपकर वाद्य यंत्र बजा रहे हैं और हेमा जी स्वंय ही इसे गा रही हैं। गाने के उतार चढाव, कलाकारों के एक्सप्रेशन सभी पर कमाल संगीत दिया। इमोशन से भरपूर ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेेंगे (दु:खद)- इसमें केवल चार लाइन ही हैं, मगर किशोर दा ने क्या इमोशन के साथ गाया है। जो सहानुभूति जय के मरने पर जय के साथ थी, किशोर दा के गाने के बाद दर्शकों को वीरू का दर्द महसूस होने लग गया।
होली के दिन दिल खिल जाते है किशोर दा और लता जी का गाया यह होली गीत है। इसके बोल भी बक्शी जी ने होली की भावना और छेड़छाड़ को सम्माहित करके लिखा है।
'जा रे जा दीवाने तू होली के बहाने तू छेड़े ना मुझे बेशर्म' के जवाब में किशोर दा कहते है 'पूछ ले जमाने से ऐसे ही बहाने से लिए और दिए दिल जाते हैं।' ऐसे बोलो के करण ही बक्शी जी इतने लोकप्रिय हुए।
मेहबूबा मेहबूबा- स्वयं पंचम के गाये इस गाने का क्रेज आज भी है। इस पर कई रीमिक्स बने, क्लब में खूब बजता है। इसमें मनोहरी सिंह जी के सेक्सोफोन और पंचम द्वारा बोतल से निकली आवाज के साथ गाना शुरू होता है। पूरे गाने में बिट्स कहीं छूटती नहीं है आप गर्दन हिलाने पे मजबूर हो जाते हैं। चांद सा कोई चेहरा पहलु में ना हो- ये गाना फिल्म में शामिल नहीं किया गया ना फिल्मांकन हुआ। फिल्मांकन वीरू, जय और सुरमा भोपाली पे होना था। इसे आवाजे दी थी किशोर दा, मन्ना डे, भूपेंद्र और आनंद बक्शी। कव्वाली शानदार है, महान नहीं। शायद फिल्मांकन के बाद और मजेेदार होती। कोई हसीना जब रूठ जाती है तो-ये गाना धरमजी के लिए ही लिखा है, उनके अंदाज के अनुसार ही गीत के बोल हैं और किशोर दा ने भी मस्ती से गाया है। उतनी ही मस्ती से धरमजी ने पर्दे पर निभाया। शोले थीम म्यूजिक-पंचम का ये थीम पीस पूरी फिल्म में अपने साथ बहा ले जाता है, ये ऑस्कर के लायक संगीत है। कोई भी ओर्केस्ट्रा आर्टिस्ट इसे बजाकर कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं और दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते है।
Published on:
06 Aug 2025 08:34 pm