
मतदाताओं से जानकारी जुटाते बीएलओ
बूंदी. सरकार का एसआईआर सर्वे पूर्ण करने के चलते स्कूलों में पढ़ाई चौपट हो रही है। अधिकतर शिक्षक बीएलओं में ड्यूटी में व्यस्त होने से विद्यालयों की नियमित शैक्षणिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। जबकि प्रदेश सरकार आगामी एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू करने की तैयारी कर रही है, लेकिन शिक्षकों पर प्रशासनिक कार्यों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। शिक्षा सत्र 2025-26 को डेढ़ माह घटाकर इस बार 20 नवंबर से अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होनी हैं। इसी बीच, निर्वाचन विभाग के एसआईआर सर्वे और मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यों में काफी संख्या में शिक्षक बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और सुपरवाइजर के रूप में व्यस्त हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में करीब 90 फीसदी बीएलओ शिक्षक ही है,जिन्हें विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ-साथ निर्वाचन विभाग के कार्य भी निभाने पड़ रहे है।
70 फीसदी कोर्स अब तक अधूरा
अद्र्धवार्षिक परीक्षाओं की समय-सारणी के अनुसार, परीक्षा 20 नवंबर से प्रारंभ होगी और इसमें 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे जाने का प्रावधान है। हालांकि, अधिकांश विद्यालयों में पाठ्यक्रम अभी अधूरा है। शिक्षकों का कहना है कि एसआईआर सर्वे और निर्वाचन कार्यों के चलते हमें विद्यालय समय में भी फील्ड ड्यूटी करनी पड़ रही है,जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है और विद्यार्थियों की परीक्षा तैयारी अधूरी रह गई है।
प्रतिनियुक्तियों पर डटे शिक्षक
वहीं निदेशालय के आदेशों के बावजूद अधिकारी अपने चेहते शिक्षकों की धड़ल्ले से प्रतिनियुक्तियां आदेश जारी कर रहे हैं। जिले के कई शिक्षक लंबे समय से खेलकूद, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं शिक्षण प्रतियोगिताओं के साथ ही अभियानों, चुनाव, स्वीप आदि कार्यों में लंबे समय से प्रतिनियुक्तियां करवा रखी है। जिले में करीब 150 शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर लगे हुए है। जबकि शिक्षा निदेशक के सख्त आदेश है कि बिना निदेशालय की पूर्व अनुमति किसी भी शिक्षक या कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति नहीं की जाए। बावजूद जिले में निदेशालय के आदेशों की अवहेलना हो रही है।
बढ़ रहा आर्थिक बोझ
बीएलओ शिक्षकों की सबसे बड़ी व्यथा यह है कि उन्हें वर्षभर मतदाता सूची सत्यापन, संशोधन, प्रशिक्षण और सर्वे जैसे कार्यों में लगाया जाता है। रविवार और अन्य अवकाश के दिनों में भी उन्हें फील्ड वर्क या प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाता है। एक बीएलओ ने बताया कि इसके बदले न तो क्षतिपूर्ति अवकाश मिलता है और न ही कोई आर्थिक सहायता (मानदेय)। प्रशिक्षण अधिकतर जिला या उपखंड मुख्यालयों पर आयोजित होते हैं, जिनके लिए यात्रा भत्ता तक नहीं दिया जाता। पूरे सप्ताह विद्यालय में पढ़ाते हैं और रविवार को परिवार के साथ समय बिताने का अवसर भी ड्यूटी में चला जाता है। सरकार के हर आदेश का पालन करते हैं, पर छुट्टियां और निजी समय दोनों खत्म हो गए हैं।
एक अलग संवर्ग का गठन कर करे कार्मिक नियुक्त
बीएलओ के रूप में कार्य कर रहे शिक्षा विभाग के कार्मिकों की स्थिति दयनीय है। विद्यालय में परीक्षाएं व अन्य विभागीय कार्यों के अलावा निर्वाचन विभाग के कार्य की वर्षभर किसी न किसी प्रकार की गतिविधि संचालित होती रहती है। मृत्यु के बाद नाम काटना, नववयस्कों के नाम जोडऩा आदि कार्य से लेकर सर्वे और पुनरीक्षण के कार्य को देखते हुए निर्वाचन विभाग को इसके लिए एक अलग संवर्ग का गठन कर कार्मिक नियुक्त करना चाहिए। क्योंकि एसआई आर जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्य को तार्किक और विवेकपूर्ण ढंग से करने पर ही इसकी उपादेयता है।
अनिल सामरिया,संभाग संयुक्त मंत्री,राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय,बूंदी
इनका कहना है
शिक्षक स्कूलों में पढ़ा भी रहे है और सरकार के आदेशानुसार बीएलाओं कार्य में लगे शिक्षक एसआईआर डय़ूटी का निर्वहन भी पूर्ण करने में लगे हुए है। वहीं शिक्षक बच्चों के शिक्षण कार्य भी समन्वय के साथ पूरा कराने में जुटे हुए है।
धनराज मीणा,सहायक निदेशक,समग्र शिक्षा,बूंदी
Published on:
16 Nov 2025 11:58 am
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