
पुलिस अधीक्षक कार्यालय
बूंदी. बदलते वक्त के साथ ग्रामीण क्षेत्र में बदलाव की बहार चल रही है। एक वक्त था जब लोगों की जिंदगी बिना सोशल मीडिया, एंड्रॉयड फोन कट रही थी, लेकिन वर्तमान में सोशल मीडिया ने 70 से 80 प्रतिशत युवक व युवतियों को गिरफ्त में ले रखा है। कुछ रील बनाने के साथ सोशल मीडिया पर दोस्ती के फरार होने के जिले में कई मामले सामने आए है, जिसमें बाद में अभिभावक उनको दस्तयाब के लिए पुलिस से गुहार तो लगाते है, लेकिन पकड़े जाने के बाद वो ही बेटियां उन्हें पहचाने से इनकार कर देती है।
इस तरह के बूंदी जिले के भी कई थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर दोस्ती करके लव मैरिज के कई मामले सामने आए हैं। आलम यह है कि इनमें से सिर्फ 10 फीसदी युवतियां वापस अपने माता-पिता के पास जाना पसंद करती हैं, लेकिन अधिकतर मामले में जाने से इनकार कर देती हैं। अपने जन्मदाता को पहचानने से इंकार कर उन्हीं से अपने आप को खतरा बताती है। इसके चलते कुछ बेटियां जिंदगी भर अपने मायके से दूर रहती है।
हर साल हो रही मामलों में बढ़ोतरी
बूंदी जिले में इस तरह के मामलों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। इस तरह के मामले जिले के हिण्डोली, नैनवां, देई व करवर थाना क्षेत्र में ज्यादा सामने आ रहे है। इनमें सोशल मीडिया के अलावा बाल विवाह व आटा-साटा प्रथा का भी है। पुलिस के पास प्रकरण दर्ज होने के बाद इसमें दस्तयाब की कार्रवाई भी कर रही है। इसमें से कुछ मामलों में युवतियां अपने माता-पिता के पास पहुंची है। जबकि करीब 80 फीसदी मामलों में युवतियां अपने घरवालों को पहचानने से इंकार कर सोशल मीडिया पर बने प्रेमी से शादी कर जीवन गुजारना शुरू कर देती है।
पुलिस कर रही कार्रवाई
बूंदी जिले में वर्ष 2020 से अब तक 6 सालों में अलग-अलग थानों में करीब 741 प्रकरण दर्ज हुए है। इसमें से 95 फीसदी मामलों में पुलिस ने दस्तयाब की कार्रवाई कर ली है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार हर पुलिस थाने में इस तहर के प्रकरण दर्ज हो रहे है। विशेषकर ग्रामीण एरिया में ज्यादा मामले है। पुलिस समय-समय पर कई माध्यमों से स्कूलों व कॉलेज में छात्राओं को पॉक्सो कानून के बारे में जागरूक करती है। पुलिस ने ऑपरेशन गरिमा व ऑपरेशन शक्ति चला रखा है। कालिका यूनिट द्वारा भी शहर में गश्ती के दौरान छात्राओं के झुंड को समझाइश की जा रही है।
थानों में दर्ज प्रकरणों में निस्तारण की कार्रवाई की जा रही है। हालांकि ऐसे में मामलों में माता-पिता अपने बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखें। समय-समय पर उनकी दिनचर्या के बारे में जाने और उनके साथ समय बिताएं।
जसवीर मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, महिला अनुसंधान, सैल, बूंदी
बालिग संतान पर नहीं रहा मां बाप का अधिकार
वर्तमान में ऐसा कानून बना हुआ है कि बेटे बेटियां बालिग होने पर अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। उन पर मां बाप का कोई अधिकार नहीं रहता है। बच्चे कोर्ट मैरिज कर रहे हैं। माता-पिता के कहीं पर भी हस्ताक्षर तक नहीं करवाए जा रहे हैं। ऐसे में माता-पिता देखते रह जाते हैं। ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए कि भले ही बेटा बेटी अपनी पसंद की शादी करें, लेकिन उसमें भी उनके माता-पिता की सहमति अनिवार्य हो। बेटा बेटी के बालिग होने पर भी माता-पिता का अधिकार उन पर रहे। तब माता पिता की मन की इच्छा भी पूरी हो सकती है।
रानू खंडेलवाल, अधिवक्ता, बूंदी
Updated on:
28 Nov 2025 11:57 am
Published on:
28 Nov 2025 11:45 am
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