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प्रशासन ने नहीं ली सुध, भामाशाह 25 लाख की लागत से बना रहा विद्यालय भवन

अरण्या गांव निवासी भामाशाह महेंद्र मीणा द्वारा 25 लाख रुपए की लागत से अपने गांव अरण्या के भवन विहीन हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय में भवन निर्माण कराया जा रहा। तीन कमरों के भवन पर छत डल गई। दो माह में भवन तैयार हो जाएगा।

प्रशासन ने नहीं ली सुध, भामाशाह 25 लाख की लागत से बन रहा विद्यालय भवन
नैनवां। अरण्या के उच्च प्राथमिक विद्यालय में भामाशाह महेंद्र मीणा द्वारा बनवाया जा रहा विद्यालय भवन।

नैनवां. अरण्या गांव निवासी भामाशाह महेंद्र मीणा द्वारा 25 लाख रुपए की लागत से अपने गांव अरण्या के भवन विहीन हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय में भवन निर्माण कराया जा रहा। तीन कमरों के भवन पर छत डल गई। दो माह में भवन तैयार हो जाएगा। पुराना विद्यालय भवन जर्जर होने से विभाग द्वारा भवन डेमेज घोषित कर दिए जाने गांव में खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे बच्चों को पढऩे के लिए सुरक्षित विद्यालय भवन मिल जाएगा।
जयपुर में भवन निर्माण का व्यवसाय करने वाले महेंद्र मीणा ने पांचवीं तक की पढ़ाई इसी विद्यालय में की थी। चार माह पहले 18 मार्च को विद्यालय में आयोजित वार्षिक व भामाशाह सम्मान समारोह में महेंद्र मीणा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। विद्यालय का भवन की जर्जर स्थिति देखी तो समारोह में ही अपनी ओर से विद्यालय भवन के निर्माण की घोषणा की थी। अप्रेल माह में विद्यालय में तीन कमरों का निर्माण शुरू करा दिया। तीन कमरों पर छत पड़ गई। प्लास्टर का कार्य शुरू हो चुका है। आगामी दो माह में कमरों की फर्श, दरवाजे व खिडकियां लगाने का कार्य पूरा होते ही भवन विद्यालय के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

स्वप्रेणा से बना रहे
भामाशाह महेंद्र मीणा ने पत्रिका को बताया कि उनकी प्राथमिक शिक्षा इसी विद्यालय में हुई थी। शिक्षा का महत्व समझते है। विद्यालय भवन के अभाव अपने गांव का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। बच्चों को शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वप्रेरणा से विद्यालय में 25 लाख की लागत से तीन कक्षा कक्षों का निर्माण कराया जा रहा है। पुराना भवन डेमेज होने से बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे है। बच्चों के बैठने के
लिए दो माह में भवन तैयार करवा दिया जाएगा।

110 विद्यार्थी पढ़ रहे
विद्यालय का पुराना भवन जर्जर स्थिति में होने से भवन का निरीक्षण करने आए अधिकारियों ने भवन को डेमेज घोषित करने के बाद भवन को ताले लगाकर बंद कर रखा है। विद्यालय के बाहर मैदान में ही खुले में कक्षाएं संचालित हो रही है। छाया की व्यवस्था नहीं होने बरसात आते ही व धूप तेज होते ही बच्चों की छुट्टी करनी पड़ जाती है। विद्यालय में 110 विद्यार्थी अध्ययनरत है, जिनमें आठवी में 11, सातवी में 15, छठी में 11, पांचवी में 12, चौथी में 9, तीसरी में 17, दूसरी में 9 व पहली में 5 विद्यार्थी अध्ययनरत है।