
नोताडा. बरसात से घाट का बराना की तरफ खेतों में जाने के रास्ते में भरा पानी व कीचड़ जिससे कई दिनों तक वाहन खेतों में नहीं पहुंच पाएंगे।
नोताडा. खेतों में जाने के रास्ते नहीं होने के चलते सैकड़ों बीघा खेतों में पक्की पकाई धान की फसलों को किसान नहीं निकलवा पाए और इस वजह से ही बरसात में फसलों को खराब होती देखना पड़ा। गांव से घाट का बराना की ओर जाने वाला पुराना रास्ता पैदल निकलने लायक भी नहीं है, जिसके कारण किसानों के खेतों तक मशीनें नहीं पहुंच पाई और इस वजह से किसानों के खेतों में खड़ी धान की पक्की पकाई फसलें बरसात की भेंट चढ़ रही हैं। किसान रामचरण मीणा, मुकेश बैरागी, तोलाराम मीणा, रामराज बैरागी, सीताराम दांतीवाल आदि ने बताया की गांव के माताजी मंदिर के पास से पुराना रास्ता घाट का बराना रेलवे स्टेशन तक जाता था, लेकिन अब पक्की सड़कें बनने से इस रास्ते से कोई नहीं गुजरता है।
यह रास्ता क्षेत्र की हजारों बीघा जमीन तक पहुंचने का मार्ग है, लेकिन हर वर्ष बरसात के दिनों में पुरा रास्ता खराब हो जाता है। हंकाई व बुवाई के समय कोई ट्रैक्टर फंस जाते हैं तो दो -दो ,तीन-तीन ट्रैक्टरों से बांधकर निकलना पड़ता है या जेसीबी का सहारा लेना पड़ता है तब जाकर किसानों के खेतों में बुवाई हो पाती है। फसलों के लिए खाद के कट्टों को भी आधा आधा करके सिर पर रखकर ले जाना पड़ता है, लेकिन इन सब के बावजूद फसल पककर तैयार हो जाती है तो वहीं रास्ते के चक्कर में मशीनें नहीं पहुंचने के कारण खेतों में ही नष्ट हो रही है। इधर धान की फसल पककर तैयार थी, लेकिन रास्ते के अभाव में कोई मशीन वाला जाने को तैयार नहीं था कुछ ने दुसरी तरफ नहर के रास्ते से लाकर फसल कटवाई है, लेकिन अभी कई किसानो के खेतों में धान की पक्की पकाई फसल को बरसात की भेंट चढ गया।
किसानों ने बताया की सालभर पहले ग्राम पंचायत ने इस रास्ते पर नरेगा चलाकर समतल तो करवाया था, लेकिन यह रास्ता ग्रेवल नहीं होने के वजह से बरसात में फिर कीचड़ फैल गया। किसानों ने इस रास्ते पर ग्रेवल डलवाने की मांग की है ताकी किसानों के खेतों तक संसाधन आसानी से पहुंच सके।
Published on:
08 Nov 2025 05:54 pm
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