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क्या सिगरेट, गुटखा और पान मसाला पर बढ़ने वाला है टैक्स? सरकार ला रही यह बिल

सरकार GST कम्पनसेशन सेस की जगह दो नए विधेयक ला रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिगरेट और पान मसाला जैसे 'सिन गुड्स' पर टैक्स का भार सेस खत्म होने के बाद भी 40% GST और नए शुल्कों के साथ ऊंचा बना रहे।

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सरकार तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी लगाएगी और पान मसाला के उत्पादन पर नया सेस लगाएगी. (PC: Canva)

1 दिसंबर, 2025 यानी आज से संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) शुरू हो रहा है. लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दो बहुत ही महत्वपूर्ण बिल पेश कर सकती हैं. पहला बिल है - "स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025" और दूसरा बिल है - "केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम संशोधन विधेयक।" ये दोनों बिल इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसके जरिए सरकार तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी लगाएगी और पान मसाला के उत्पादन पर नया सेस लगाएगी.

पान मसाला, गुटखा जैसे प्रोडक्ट पर सेस लगाने के लिए "स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक (Bill), 2025 पेश किया जाएगा, जबकि सिगरेट पर सेस लगाने के लिए सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल (Bill), 2025 पेश किया जाएगा, जो कि GST कम्पनसेशन सेस की जगह लेगा. यह वर्तमान में सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू जैसे सभी तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाता है. इस नए शुल्क से ये सुनिश्चित होने की संभावना है कि सिगरेट, गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पादों पर कुल टैक्स का बोझ GST कम्पनसेशन सेस के खत्म होने के बाद भी मौजूदा स्तर पर बना रहे.

सरकार ऐसा क्यों कर रही है?


अब ऐसा किया क्यों जा रहा है, जरा इसको समझिए. दरअसल, केंद्र सरकार का यह कदम GST काउंसिल के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें सितंबर में तंबाकू को छोड़कर सभी वस्तुओं पर कम्पनसेशन सेस को खत्म करने और मोटे तौर पर GST की सिर्फ दो ही दरे रखने का फैसला किया गया था. हालांकि, तंबाकू को अल्ट्रा लक्जरी और 'सिन गुड्स' के लिए प्रस्तावित 40 प्रतिशत GST स्लैब में कब शामिल करना है, अब ये कब से लागू करना है इसकी सही समय-सीमा वित्त मंत्री पर छोड़ दी गई है.

दरअसल, GST कम्पनसेशन सेस जल्द ही खत्म होने वाला है। इस सेस के कारण तंबाकू उत्पादों पर बहुत भारी टैक्स लगता है. अगर यह सेस खत्म हो गया, तो सरकार का राजस्व का नुकसान होगा. और इन उत्पादों पर लगने वाला कुल कर टैक्स भार कम हो जाएगा। इसलिए इस बिल का मकसद सरकार को कानूनी रूप से यह ताकत देना है कि वो सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की दर को इतना बढ़ा सके कि तंबाकू उत्पादों पर लगने वाला कुल टैक्स पहले जितना ही बना रहे और सरकार को कोई वित्तीय नुकसान न हो.

अभी कितना टैक्स लगता है?


अभी तंबाकू और पान मसाला जैसे 'सिन गुड्स' पर 28 प्रतिशत GST लगता है, साथ ही एक कम्पनसेशन सेस भी लगता है जिसकी दरें अलग-अलग होती हैं, और यह सेस कुछ मामलों में जैसे पाइप के लिए स्मोकिंग मिक्स्चर पर 290 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। एक बार कम्पनसेशन सेस खत्म होने के बाद तंबाकू और इसके उत्पादों की बिक्री पर GST के साथ एक्साइज ड्यूटी लगेगी, जबकि पान मसाला पर GST के साथ 'स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर' लगेगा। चूंकि 28 प्रतिशत GST की दर समाप्त कर दी गई है, इसलिए ऐसे 'सिन गुड्स' पर अब 40 प्रतिशत के उच्चतम GST स्लैब के तहत टैक्स लगाया जाएगा।"

1 जुलाई 2017 को GST लागू होने के समय, राज्यों को GST लागू करने के कारण हुए राजस्व घाटे की भरपाई के लिए पांच साल की अवधि, यानी 30 जून 2022 तक के लिए एक कम्पनसेशन सेस को लागू किया गया था। बाद में, कम्पनसेशन सेस को चार साल के लिए, यानी 31 मार्च 2026 तक, बढ़ा दिया गया था, और इस कलेक्शन का इस्तेमाल उन कर्जों को चुकाने के लिए किया जा रहा है जो केंद्र ने कोविड के दौरान राज्यों को GST राजस्व हानि की भरपाई के लिए लिए थे.