
आपका रिटायरमेंट फंड कितना होना चाहिए, इसकी कैलकुलेशन महंगाई को ध्यान में रखते हुए करें (PC: Canva)
हम में से कई लोग सोचते हैं कितना पैसा हो जाए कि हमारा रिटायरमेंट सुकून से गुजर जाए, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े; क्या 1 करोड़ रुपये काफी होगा? जबकि हकीकत ये है कि हम लोगों में से ज्यादातर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग को गंभीरता से लेते ही नहीं है. ग्रांट थॉर्टन भारत 2025 के एक सर्वे के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करीब 50% कर्मचारी अपने रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त रकम जमा नहीं कर रहे हैं.
ये रिपोर्ट बताती है कि ये कर्मचारी बहुत कम या बिल्कुल भी रिटायरमेंट सेविंग्स नहीं कर रहे हैं. जो कर भी रहे हैं उनमें से ज्यादातर कर्मचारी अपनी सैलरी का सिर्फ 1%–15% हिस्सा ही रिटायरमेंट के लिए फंड इकट्ठा करने में कर रहे हैं. आमतौर पर देखा गया है कि ज्यादातर लोग पेंशन फंड के नाम पर 20 लाख रुपये से भी कम इकट्ठा करते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उनका बुढ़ावा आसानी से गुजर सकेगा. हम आपको यहां पर ये बताने की कोशिश करेंगे कि अगर आप 1 करोड़ रुपये भी आज से 20 साल के बाद जुटा लेंगे तो भी ये कम पड़ेगा.
हम में से ज्यादातर लोग ये मानकर चलते हैं कि 1 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट कॉर्पस आज से 20 साल बाद के लिए काफी होगा. लेकिन जब आप थोड़ी सी मैथ्स करेंगे तो आपको एक अलग ही कहानी देखने को मिलेगी, तब आपकी सोच पूरी तरह से बदल जाएगी.
मान लीजिए कोई शख्स जो 60 साल की उम्र में रिटायर होता है और वह 85 साल तक जीता है. यानी उसे अपने रिटायरमेंट पैसे से 25 साल तक अपना खर्च चलाना है. अब हम 1 करोड़ रुपये को 25 साल में बराबर बांट दें, तो महीने का खर्च निकलता है करीब 33,333 रुपये.
1,00,00,000/25 = 4,00,000 रुपये प्रति वर्ष
4,00,000/12 = 33,333 रुपये प्रति महीना (मोटे तौर पर 33,000 रुपये)
लेकिन हम यहां पर एक बड़ी चूक करते हैं. हम महंगाई के फैक्टर को इस कैलकुलेशन से पूरी तरह बाहर रख देते हैं. जबकि महंगाई वो फैक्टर है जो आपकी सेविंग्स की वैल्यू को खा जाता है. तब 33,000 रुपये की वैल्यू अगले 10 साल में 33,000 नहीं रह जाएगी, अगर हम मान लें कि इन 10 सालों के दौरान औसत महंगाई की दर 6.5% है. तब इसकी वैल्यू घटकर 17,500 रुपये रह जाएगी. यानी 10 साल में वैल्यू आधी हो जाएगी. जबकि पूरा 25 साल बाद इसकी वैल्यू 7,600 रुपये ही रह जाएगी. मतलब अकाउंट पर तो आपको 33,000 रुपये ही मिलेंगे, लेकिन महंगाई की वजह से उनकी परचेजिंग पावर कम हो जाएगी. एक साधारण सा फॉर्मूला ये याद रखिए कि 6% की महंगाई दर पर 12 साल बाद किसी भी रकम की वैल्यू आधी हो जाएगी.
जैसे-जैसे वक्त गुजरता है, परिवार की जरूरतें बढ़ती हैं, रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ते हैं. मेडिकल के खर्च, बच्चों के स्कूल की फीस, घर का किराया सबकुछ महंगा होता जाता है. इसलिए भविष्य की प्लानिंग इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए करने की जरूरत होती है. अगर हम 6.5% की औसत महंगाई दर को मानकर चलें, तो आज से 10 साल बाद 1 करोड़ रुपये की वैल्यू 53 लाख रुपये होगी, जबकि 20 साल बाद अगर आपके अकाउंट में 1 करोड़ रुपये होंगे, तो उसकी वैल्यू 28 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगी.इतनी रकम शहरों में रहने वालों के लिए काफी नहीं होगी. इसका मतलब ये हुआ कि आपको इसके बाद भी काम करते रहना पड़ेगा. ताकि आप अपनी जिंदगी के जरूरी खर्चों को पूरा कर सकें.
बावजूद इसके, आंकड़े बताते हैं कि केवल 25% लोग की अपने रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर गंभीर होते हैं और कदम उठाते हैं. इनमें से भी ज्यादातर सिर्फ इतना कम निवेश करते हैं कि उनकी मंथली पेंशन 5,000 रुपये से ज्यादा नहीं बनती. अब बताएं कि 5,000 रुपये मंथली पेंशन में किसी का गुजारा क्या ही होगा. क्योंकि औसतम रिटायरमेंट फंड ही 20 लाख से कम होता है. जिस वजह से रिटायरमेंट के बाद वो अपनी मनचाही लाइफस्टाइल नहीं जी पाएंगे. इस तरह की खराब रिटायरमेंट प्लानिंग की वजह है महंगाई के असर को नजरअंदाज करना, स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के बारे में नहीं सोचना और परिवार और रियल एस्टेट प्रॉपर्टी पर हद से ज्यादा निर्भरता.
इंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी (IRIS) के मुताबिक केवल 44% लोग ही सोचते हैं कि रिटायरमेंट प्लानिंग 35 साल की उम्र से पहले करना शुरू करना चाहिए, जो ये दर्शाता है कि इस दिशा में जागरुकता की बहुत जरूरत है. रिटायरमेंट प्लानिंग को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
देखिए ये मान लेना कि रिटायरमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये काफी होगा, ये सबके लिए सही नहीं है. एक ही लाठी से सबको नहीं हांका जा सकता है. ये हर किसी के लिए अलग अलग हो सकता है. इसके लिए जरूरी है कि आप अपने परिवार की जरूरतों, भविष्य के खर्चों ध्यान में रखते हुए रिटायरमेंट की प्लानिंग करें और कॉर्पस तय करें और उसके मुताबिक ही निवेश की शुरुआत करें.
साथ ही जब भी किसी निवेश को शुरू करें तो महंगाई के फैक्टर को जरूर ध्यान में रखें. हमेशा उस एसेट क्लास में निवेश करें जो महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न दे. जैसे शेयर मार्केट, इक्वटी म्यूचुअल फंड्स वगैरह. इसके लिए अपने निवेश सलाहकार से चर्चा करें, अपनी रिस्क लेने की क्षमता और निवेश की क्षमता के मुताबिक अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग करें. साथ ही, किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लें, परिवार पर आपकी गैर-मौजूदगी में कोई वित्तीय परेशानी आए तो उसके लिए टर्म पॉलिसी सबसे पहले लें.
Published on:
08 Dec 2025 02:40 pm
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