
ऑफिस पीकॉकिंग से कर्मचारी ऑफिस की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। (PC: Pexels)
जब कोविड खत्म हुआ और धीरे-धीरे कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को ऑफिस बुलाना शुरू किया, तो पाया कि कर्मचारी ऑफिस आने को राजी नहीं हैं। कई कंपनियों में तो कर्मचारियों ने सिर्फ इसी बात पर नौकरी छोड़ दी। कंपनियों के लिए यह बड़ी चुनौती थी कि कैसे कर्मचारियों को घर के आरामदायक माहौल से निकालकर ऑफिस आने के लिए प्रेरित किया जाए। कर्मचारियों का नजरिया जब समझा गया, तो वो फिर से लंबे ट्रैफिक जाम से जूझने के बाद ऑफिस के बोरिंग, थके हुए और टॉक्सिक माहौल में दोबारा लौटना नहीं चाहते थे।
कंपनियों को अहसास हुआ कि कर्मचारियों का ऑफिस नहीं आना लंबे समय के लिए ठीक नहीं है, इससे प्रोडक्टिविटी पर काफी बुरा असर होगा। इसलिए कंपनियों ने एक तरकीब निकाली, जिसका फायदा ये हुआ कि कर्मचारियों ने ऑफिस आना शुरू किया और ऑफिस के माहौल को पसंद भी करने लगे। इस तरकीब को नाम दिया गया ऑफिस पीकॉकिंग (office peacocking)। ये क्या होती है और कंपनियों ने ऐसा क्या किया कि जो कर्मचारी ऑफिस आने में ना-नुकुर कर रहे थे, वे घर की बजाय ऑफिस आना पसंद करने लगे।
ऑफिस पीकॉकिंग एक ऐसी रणनीति है, जिसका इस्तेमाल कर्मचारी अपने ऑफिसों को ज्यादा आकर्षक और आरामदायक बनाने के लिए करते हैं, ताकि कोविड के बाद कर्मचारियों को ऑफिस वापस लाया जा सके। इसमें ऑफिसों को ज्यादा खुला-खुला और स्टाइलिश बनाया जाता है। ऑफिस के अंदर ही कर्मचारियों के लिए एंटरटेनमेंट, गेमिंग की सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि वो काम के दौरान मूड को हल्का रख सकें और बोरियत से दूर रहें। खाने-पीने के लिए नए ट्रेंडी कैफेटेरिया, नैचुरल लाइट वाले दमकते बड़े-बड़े लाउंज से ऑफिस के माहौल को पॉजिटिव रखने में मदद मिलती है। री-डिजाइन किए गए ऑफिसों में कर्मचारी एक दूसरे के आमने-सामने बैठकर बातचीत कर सकते हैं और टीमवर्क को बढ़ावा मिलता है। ऐसा माहौल क्रिएटिव कामों को करने के लिए आदर्श होता है।
टीमलीज के सीईओ कार्तिक नारायण कहते हैं कि कोविड के बाद कर्मचारियों की प्राथमिकताएं पूरी तरह बदल गई हैं। अब वे केवल सैलरी या पोजीशन पर फोकस नहीं करते, बल्कि माहौल, सुविधाएं और मानसिक सुकून को भी उतना ही महत्व देते हैं। लोग अब ऐसी कंपनियां ढूंढते हैं, जो बेहतरीन टेक्नोलॉजी के साथ-साथ मजबूत वर्क कल्चर भी दें। ऑफिस पीकॉकिंग इस बदलाव को और तेज कर रही है।
ये रणनीति काम कर गई। कर्मचारियों ने धीरे-धीरे ऑफिस लौटना शुरू कर दिया। वो घर से ऑफिस आना शुरू हुए, ऑफिस के बदले बदले माहौल ने उनके अंदर नई ऊर्जा पैदा की। वे काम और ऑफिस दोनों को एंजॉय करते हुए दिखे। एक ही कमरे में लगातार काम करने से होने वाली बोरियत, सामाजिक जुड़ाव की कमी और ऑफिस कल्चर से बढ़ता अलगाव धीरे-धीरे कम होने लगा। जूम की मीटिंग से हटकर वो आमने-सामने बैठकर बातें करना, आइडिया शेयर करना ज्यादा पसंद करने लगे। काम का माहौल बदलने से कंपनियों का एट्रिशन रेट भी कम हुआ।
Published on:
18 Nov 2025 04:53 pm
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