
खाद की रैक
खाद संकट से जूझ रहे किसानों के लिए राहत की खबर है। जिले में डीएपी, टीएसपी और पोटाश की नई खेप पहुंच गई है। हरपालपुर रैक प्वाइंट पर लगभग 1576 मीट्रिक टन डीएपी, 715 मीट्रिक टन टीएसपी और 140 मीट्रिक टन पोटाश की खेप पहुंची है। अब इनका वितरण छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिलों की सहकारी समितियों में किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, हरपालपुर में पहुंची डीएपी में से लगभग 1170 मीट्रिक टन (यानी 75 प्रतिशत) खाद तीन जिलों छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना में भेजी जाएगी। छतरपुर जिले के लिए 700 मीट्रिक टन डीएपी सीधे रैक पॉइंट से विभिन्न सहकारी समितियों में भेजी जा रही है।
टीएसपी और पोटाश का वितरण इस प्रकार किया जा रहा है
छतरपुर मार्कफेड गोदाम: टीएसपी 105 मीट्रिक टन, पोटाश 40 मीट्रिक टन
हरपालपुर: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 10 मीट्रिक टनबिजावर: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 15 मीट्रिक टन
बड़ामलहरा: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 20 मीट्रिक टनघुवारा: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 15 मीट्रिक टन
बमीठा: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 20 मीट्रिक टनलवकुशनगर: टीएसपी 60 मीट्रिक टन, पोटाश 20 मीट्रिक टन
पन्ना मार्कफेड गोदाम: डीएपी 50 मीट्रिक टन, टीएसपी 30 मीट्रिक टनअमानगंज: डीएपी 50 मीट्रिक टन, टीएसपी 30 मीट्रिक टन
पलेरा: डीएपी 180 मीट्रिक टन, टीएसपी 30 मीट्रिक टनखरगापुर: डीएपी 100 मीट्रिक टन
जतारा: डीएपी 60 मीट्रिक टन, टीएसपी 30 मीट्रिक टन बल्देवगढ़: टीएसपी 100 मीट्रिक टन
भले ही विभागीय अधिकारी खाद की पर्याप्त उपलब्धता का दावा कर रहे हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है। कई किसान शिकायत कर रहे हैं कि सहकारी समितियों में खाद होते हुए भी वितरण में देरी की जा रही है।बाजार में कुछ विक्रेता इसका फायदा उठा रहे हैं।डीएपी की एक बोरी 1350 रुपए की जगह 1500 रुपए तक, जबकि यूरिया 266 रुपए 50 पैसे की जगह 100 से 150 रुपए अधिक में बेची जा रही है।किसान डीएपी के बिना नहीं मान रहे
किसानों का कहना है कि समितियों द्वारा डीएपी की जगह एनपीके या सुपर खाद दिया जा रहा है, जबकि उनकी फसल के लिए डीएपी ही जरूरी है। डीएपी खत्म होने के बाद हरपालपुर गोदाम में विकल्प के रूप में एनपीके बेचा जा रहा है, पर किसान इसे लेने से इनकार कर रहे हैं।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं नई खेप का वितरण जल्द ही सभी सोसाइटियों में शुरू किया जाएगा। विभाग का दावा है कि आने वाले कुछ दिनों में खाद की उपलब्धता सामान्य हो जाएगी और किसानों को परेशानी नहीं होगी।
Published on:
30 Oct 2025 10:47 am
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