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बुंदेलखंड में बढ़ रही अवैध कॉलोनियां, शिकायतों के बावजूद प्रशासन नहीं रोक पा रहा अवैध बसावट

साल 2025 में अब तक सीएम हेल्पलाइन पर सागर से 435, छतरपुर से 333, टीकमगढ़ से 232 और दमोह से 137 शिकायतें दर्ज हुई हैं, परंतु इनमें से अधिकतर प्रकरणों में न तो कोई एफआईआर हुई और न ही कॉलोनाइजेशन रोका जा सका।

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अवैध कॉलोनी छतरपुर

बुंदेलखंड में अवैध कॉलोनियों का जाल तेजी से फैल रहा है। खेतों और सरकारी जमीनों पर प्लॉटिंग कर कॉलोनाइजर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सागर संभाग के चारों जिलों सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ और दमोह में अवैध कॉलोनियों की बाढ़ आ चुकी है, जबकि प्रशासनिक कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है। साल 2025 में अब तक सीएम हेल्पलाइन पर सागर से 435, छतरपुर से 333, टीकमगढ़ से 232 और दमोह से 137 शिकायतें दर्ज हुई हैं, परंतु इनमें से अधिकतर प्रकरणों में न तो कोई एफआईआर हुई और न ही कॉलोनाइजेशन रोका जा सका।

आठ साल में 1900 से ज्यादा अवैध बस्तियां बढ़ीं

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में प्रदेश में 6077 अवैध कॉलोनियां थीं, जो मार्च 2024 तक बढकऱ 7981 हो गईं। यानी आठ वर्षों में लगभग 1904 नई अनधिकृत बस्तियां बसाई गईं। इनमें से बड़ी संख्या ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में है, जहां कृषि भूमि को बिना डायवर्सन कर कॉलोनी के रूप में काटा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि कॉलोनाइजर एक्ट 2021 के बावजूद नियमों का पालन नहीं हो रहा। अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को तब तक प्लॉटिंग की अनुमति नहीं मिल सकती जब तक भूमि डायवर्सन, नक्शा स्वीकृति और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी न हो, लेकिन हकीकत में यही सबसे बड़ा उल्लंघन हो रहा है।

छतरपुर में प्रशासन मौन, कॉलोनाइजर बेखौफ

छतरपुर शहर के आसपास की जमीनों पर हाल के महीनों में करीब 25 से अधिक नई कॉलोनियां विकसित हुई हैं, जिनमें से अधिकांश का न तो नक्शा स्वीकृत है और न ही भूमि उपयोग परिवर्तित। छतरपुर, खजुराहो, नौगांव, हरपालपुर, लवकुशनगर, राजनगर, बकस्वाहा और बड़ामलहरा क्षेत्र में लगातार नई बस्तियां बस रही हैं। कई जगह किसान अपनी कृषि भूमि टुकड़ों में बेच रहे हैं और बिना सडक़, पानी या निकासी की व्यवस्था के घर बनवाए जा रहे हैं। स्थानीय निवासी अंशु सिंह बताते हैं हमने नगर पालिका और कलेक्टर को कई बार शिकायत की कि कॉलोनाइजर बिना स्वीकृति प्लॉट काट रहा है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा अब वहां पक्के मकान बन गए हैं।

हाईकोर्ट ने लगाया पूर्ण प्रतिबंध- फिर भी जारी प्लॉटिंग

सीधी जिले में हाल ही में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायमूर्ति सं सचदेव और विनय सराफ की युगलपीठ ने राज्य शासन से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं होती, किसी भी कृषि भूमि पर नई कॉलोनी बसाने या कॉलोनाइजेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन आदेश के बावजूद अवैध प्लॉटिंग का कार्य दिन-रात जारी है। प्रशासन का तर्क है कि कई मामलों में जांच चल रही है, जबकि कॉलोनाइजर उसी दौरान बाउंड्रीवॉल और सडक़ें डालकर कॉलोनी खड़ी कर रहे हैं।

भू-माफिया ने छतरपुर शहर में बसा दीं 85 अवैध कॉलोनियां

भूमाफिया ने सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर शहर में करीब 85 कॉलोनियां तैयार कर दीं और ये सभी कॉलोनियां अवैध रूप से तैयार की गई हैं. यहां घर बनाने वालों और प्लॉट खरीदने वालों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. जमीन करोबारियों पर आरोप है कि उन्होंने ना तो टीएनसी से नक्शा पास करवाया और ना ही विभाग को कोई सूचना दी. सरकारी गाइडलाइनों की भी धज्जियां उड़ाई. कॉलोनियां काटकर लोगों से करोड़ों रूपए कमाए लेकिन सुविधाएं नहीं दीं. प्लॉट खरीदने वाले सुविधाओं के लिए परेशान हो रहे हैं। हालांकि एसडीएम अखिल राठौर ने 42 कॉलोनियों में खरीद बिक्री पर रोक लगा दी है। लेकिन अभी भी नई कॉलोनियां बसाई जा रही हैं।

मंत्री बोले- वैध नहीं कर रहे, सुविधाएं दे रहे

राज्य सरकार की तरफ से नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हाल में स्पष्ट किया था कि अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं किया जा रहा है, लेकिन नागरिकों की सुविधा के लिए वहां बिजली, पानी और सडक़ जैसी मूलभूत सेवाएं जनहित में उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि शहरी नियोजन विशेषज्ञों का कहना है कि यह दोहरी नीति है। सरकार जब इन कॉलोनियों को मूलभूत सुविधाएं देती है, तो कॉलोनाइजर को अप्रत्यक्ष वैधता मिल जाती है, जिससे नए लोगों को भी प्रोत्साहन मिलता है।

अवैध कॉलोनियों का खतरा

1. भविष्य में वैधता का संकट- बिना स्वीकृति बने मकानों का नक्शा पास नहीं होता, न लोन मिलता है न बीमा।

2. निकासी और जलभराव की समस्या- बिना योजना के बसाई बस्तियों में हर बारिश में पानी भर जाता है।

3. राजस्व और कर का नुकसान- शासन को लाखों रुपए के टैक्स और डायवर्सन शुल्क का नुकसान होता है।

क्या होगा आगे?

हाईकोर्ट का आदेश अब केवल सीधी जिले तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश पर प्रभाव डालने वाला माना जा रहा है। अगर शासन ने गंभीरता दिखाई तो यह आदेश सागर, छतरपुर, दमोह और टीकमगढ़ जैसे जिलों में भी कड़ाई से लागू हो सकता है। फिलहाल बुंदेलखंड में अवैध कॉलोनियों की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही। हर दिन नई जमीनों पर प्लॉटिंग, बाउंड्रीवॉल और बिजली के कनेक्शन के साथ नई अनधिकृत बस्तियां खड़ी हो रही हैं और प्रशासन, मानो आंख मूंदे बैठा है।