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छतरपुर की हवा में घुल रहा जहर, खुले में जलता कचरा, एनजीटी के आदेश और स्वच्छता मिशन सब बेअसर

जहरीला धुआं सिर्फ हवा को नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को प्रदूषित कर रहा है, वो भी तब, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिसंबर 2016 से ही खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा चुका है।

garbage fire
खुले में जलता कचरा

स्वच्छ भारत मिशन का सपना अब धुएं में उड़ता दिख रहा है। शहर के हर मोहल्ले, हर गली और हर चौराहे पर प्लास्टिक कचरा जलता है। इससे उठने वाला जहरीला धुआं सिर्फ हवा को नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को प्रदूषित कर रहा है, वो भी तब, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिसंबर 2016 से ही खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा चुका है।

कानून क्या कहता है


एनडीटी ने अलमित्रा पटेल बनाम भारत सरकार मामले में स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था खुले में कचरा जलाता है, तो उस पर 5000 से 25000 रुपए तक का जुर्माना लगेगा। लेकिन छतरपुर में आज तक किसी पर यह कार्रवाई नहीं हुई।

कचरे से निकलता जहर


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार प्लास्टिक जलाने से निकलने वाली डाइऑक्सिन, फ्यूरन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हार्मोनल डिसबैलेंस और भ्रूण विकृति तक की वजह बनती हैं।

कौन जिम्मेदार?


नगरपालिका के कर्मचारी खुद कचरे में आग लगाते हुए देखे जाते हैं। वहीं आमजन भी पॉलीथिन या अन्य कचरे को इकठ्ठा होते ही जला देते हैं। जबकि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत प्रत्येक नगरपालिका की जिम्मेदारी है कि वह कचरे का पृथक्करण, वैज्ञानिक निपटान और लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए।

स्वच्छता की पोल खोलता सिस्टम


छतरपुर में बड़े-बड़े सार्वजनिक कचरा डिब्बे और सडक़ों किनारे जगह-जगह डंपिंग जोन में तब्दील हो गए हैं। इनमें से कई जगह खुले में मरे हुए जानवर, मेडिकल वेस्ट और कांच की बोतलें भी सड़ती रहती हैं। इससे वेक्टर जनित रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

नियमों की धज्जी और निष्क्रियता


-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के अनुसार प्रत्येक शहर में सोर्स से कचरा अलग करना, हाउस-टू-हाउस कलेक्शन, कंपोस्टिंग/रीसाइक्लिंग यूनिट जरूरी है।
-मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 223 के तहत नगरपालिका को खुले में कचरा फेंकने और जलाने वालों पर जुर्माना लगाने का अधिकार है। एनजीटी एक्ट 2010 के तहत पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई दोषी से ली जा सकती है।

क्या करें आम नागरिक?


-गीला और सूखा कचरा अलग रखें
-कचरा जलाने के बजाय नगरपालिका को सूचित करें
-स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में छतरपुर की स्थिति सुधारने में सहयोग करें
-सिविक सेंस विकसित करें, और दूसरों को भी प्रेरित करें

इनका कहना है


हमने सफाई कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि कचरा न जलाएं। यदि नागरिक नियम नहीं मानते तो जल्द ही दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।स्वच्छ शहर की जिम्मेदारी हमें मिलकर निभानी है। लोगों को इसके लिए लगातार जागरुक भी किया जा रहा है।
माधुरी शर्मा, सीएमओ, नगरपालिका