
10वीं और 12वीं बोर्ड अर्द्धवार्षिक परीक्षा 20 नवंबर से, प्रतीकात्मक तस्वीर
Rajasthan: चित्तौड़गढ़.राज्य स्तरीय समान परीक्षा के तहत अर्द्धवार्षिक परीक्षा सत्र 2025-26 आगामी 20 नवंबर से शुरू होने जा रही है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में एक आदेश जारी कर निर्देश दिए है कि 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का सेंटर उनके खुद के विद्यालय में नहीं होगा। उन्हें परीक्षा देने के लिए खुद के स्कूल में स्थित परीक्षा केंद्र के स्थान पर अन्य विद्यालय में जाना होगा। समझा जाता है कि बोर्ड के आदेश के पीछे नकल के मामलों को रोकना तथा परीक्षाओं का निष्पक्ष आयोजन करवाना है। बोर्ड के इस आदेश को लेकर शिक्षक संगठनों में असंतोष है और संगठनों के पदाधिकारियों ने इस आदेश को अव्यावहारिक बताते हुए इसमें शिथिलता देने तथा अन्य विकल्पों को अपनाने की मांग की है।
बोर्ड के आदेश के अनुसार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में विद्यार्थियों को पढ़ने के समय में एक से दूसरे गांव तक दौड़ लगानी होगी। अब तक गांव की जिस स्कूल में विद्यार्थी पढ़ रहे थे, उसी में परीक्षा देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जबकि राजस्थान में कई गांव ऐसे हैं, जहां एक ही स्कूल व केन्द्र हैं।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के उपनिदेशक (परीक्षा) के जारी आदेश में कहा है कि बोर्ड परीक्षा-2026 के लिए जिले में नियत परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षार्थी स्वयं के विद्यालय के परीक्षा केन्द्र में परीक्षा न देकर अन्य सुविधाजनक केन्द्र पर प्रविष्ट हों। सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत अधिकतर विद्यार्थियों के अभिभावक साधारण किसान या मजदूर होने के कारण उन पर आर्थिक भार बढ़ेगा।
इसके अलावा अधिकतर अभिभावक अपनी बच्चियों को दूसरे गांव में अकेली भेजने में सक्षम नहीं है, ऐसे में उन्हें बच्चियों के साथ जाना पड़ेगा। जिससे उनका काम बाधित होगा। जिन बच्चियों के अभिभावक दूर-दराज रहते हैं। उनके बोर्ड परीक्षा से वंचित रहने की नौबत भी आ सकती है। विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए हर दिन लंबी यात्रा करनी पड़ेगी, जिससे समय और पैसा दोनों बर्बाद होंगे।
चित्तौड़गढ़ जिले में कई जगहों पर बोर्ड परीक्षा केंद्र की दूरी अधिक होने से वहां तक अन्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पहुंचने में परेशानी आएगी। विद्यार्थियों व अभिभावकों का समय खराब होने के साथ यात्रा का खर्च भी होगा। गांवों में आज भी कई अभिभावक बच्चियों को दूसरे गांव में अकेला नहीं भेजते हैं। माता-पिता साथ में हर परीक्षा में जाए यह जरूरी नहीं हैं। इससे बालिकाओं का अध्ययन प्रभावित हो सकता है। कई गांवों में परिवहन के सीमित साधन हैं। जिससे विद्यार्थियों को केन्द्रों तक पहुंचने में परेशानी हो सकती है। उनको पैदल भी परीक्षा देने जाना पड़ सकता है।
Published on:
17 Nov 2025 12:46 pm
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