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Churu : पशु चिकित्सालय खुद बीमार, 23 दिन बाद भी नहीं निकासित हुआ बरसाती पानी

गत 22- 23 दिनों से जल भराव के बाद पशुपालक के पशुओं का ओपीडी 4-5 का रह गया है जो सामान्य दिनों में 10- 15 का था जबकि यही ओपीडी दो या तीन वर्ष पहले 20 से अधिक का था। बीमार पशुओं को लेकर यहां कोई पशुपालक भूल से आ जाए तो भटकता रहता है। डॉक्टर या कंपाउंड अथवा दवाइयां नहीं मिल पाने से बेचारा घनचक्कर हो जाता है ।

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सुजानगढ़. पशुओं की चिकित्सा को लेकर संचालित ए श्रेणी पशु चिकित्सालय खुद बीमार व खस्ता हालत में है जिसे लेकर न केवल पशुपालन विभाग के उच्च अधिकारी लापरवाह व उदासीन है तभी शहर के एकमात्र राजकीय चिकित्सालय के अंदर व बाहर 23 दिनों के बाद भी बरसाती पानी जमा है। पशुपालक दर-दर भटकने को मजबूर है। चिकित्सालय में पानी भर जाने के बाद चिकित्साकर्मियों का कोई ठोर- ठिकाना नहीं है।

2-2 फुट भरा है पानी
अतिवृष्टि के 23 दिनों के बाद भी सरकारी चिकित्सालय में दो से तीन फीट तक पानी भरा है। जहां पर मच्छरों के प्रकोप से बीमारियां फेलने की संभावना है। इस सरकारी संस्थान से पानी निकासी को लेकर विभाग, जिला प्रशासन व नगर परिषद कोई गंभीर नहीं है। इसलिए 23 दिनों बाद भी जल निकासी के लिए यहां पर न तो मोटर पंप लगाया और ना ही पीटीओ । खास बात यह है कि अन्य जल भराव क्षेत्र या संस्थाओं अथवा परिसरों से नगर परिषद पानी निकासी के प्रबंध कर रही है। एफसीआई जैसे संस्थानों में सात संसाधन लगे हैं लेकिन पशु चिकित्सालय के लिए एक भी संसाधन सुलभ नहीं हो पाया है।

नहीं है चिकित्सक
उपखंड मुख्यालय के एकमात्र पशु चिकित्सालय दुर्दशा व बदहाली का शिकार है। यहां पर डेढ़ वर्ष से चिकित्सक नहीं है और एल एस ए के दोनों स्वीकृत पद भी डेढ़ वर्ष से रिक्त पड़े हैं।खास बात है कि चतुर्थ श्रेणी के चार पद हैं जो सभी भरे हैं लेकिन चतुर्थ श्रेणी कार्मिक पशुओं का इलाज नहीं कर सकते। यहां पर डॉक्टर का कार्यभार सालासर के डॉक्टर सतीश कुमार के पास है लेकिन उनके अवकाश पर जाने के बाद छापर के डॉक्टर प्रदीप सोनी के जिम्में यह अस्पताल है।

कम हो गई ओपीडी
गत 22- 23 दिनों से जल भराव के बाद पशुपालक के पशुओं का ओपीडी 4-5 का रह गया है जो सामान्य दिनों में 10- 15 का था जबकि यही ओपीडी दो या तीन वर्ष पहले 20 से अधिक का था। बीमार पशुओं को लेकर यहां कोई पशुपालक भूल से आ जाए तो भटकता रहता है। डॉक्टर या कंपाउंड अथवा दवाइयां नहीं मिल पाने से बेचारा घनचक्कर हो जाता है ।

इनका कहना है

4- 5 माह पहले पशुपालन मंत्री जोगाराम से भेटकर स्टाफ लगाने को कहा था। अब जल्द ही पुनः ध्यान दिलाऊंगा। कांग्रेस शासनकाल में यहां पूरा स्टाफ लगा हुआ था। मनोज मेघवाल, विधायक सुजानगढ़

-बीमार पशुओं का इलाज यहां दूभर है जब पशु चिकित्सालय ही स्टाफ कमी व पानी जैसी समस्याओं का शिकार है तब यहां पर पशुओं के इलाज की सोचना हास्य पद है। मूलचंद तिवारी ,अध्यक्ष कृष्णा गौ सेवा सदन समिति सुजानगढ़

-प्रशासन को पानी निकासी करानी चाहिए ताकि स्टाफ कार्मिक चिकित्सालय पर बैठकर सेवा दे सके। हम पशुपालकों को ऐसी सूरत में प्राइवेट डॉक्टर से पशुओं का इलाज कराना पड़ता है जो आर्थिक बोझ है व इलाज में भी देरी होती है। सुखाराम बुरड़क ,गुलेरिया

-डॉक्टर व एवं एस ए पद स्थापित करने को लेकर हम जल्द जयपुर जाकर संबंधित मंत्री जोगाराम व जवाहर सिंह बेढम से मिलकर ध्यान दिलाएंगे ।यह अव्यवस्था कांग्रेस शासन की देन है। जल्द ही इसमें सुधार करेंगे। नरेंद्र गुर्जर, पूर्व अध्यक्ष भाजयुमो, सुजानगढ़