
पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे (photo - BCCI)
Indian Captains Never Lost Single Test: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुक़ाबला गुवाहाटी के बरसापारा स्टेडियम में खेला गया। इस मुक़ाबले में दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 408 रनों के बड़े अंतर से हराते हुए इतिहास रच दिया। यह रनों के माध्यम से भारत की सबसे बड़ी हार है। इस मैच में भारतीय टीम की कप्तानी विकेट कीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत कर रहे थे। यह पहली बार है जब पंत टेस्ट टीम की कप्तानी कर रहे थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसे दो ही खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक या उससे ज्यादा मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की है और एक भी मुक़ाबला नहीं हारा है। इनमें से एक ने विदेशी दौरों पर भी भारतीय टीम की कप्तानी की है और सीरीज भी जिताई है। आइए एक नज़र डालते हैं, इन कप्तानों पर।
अनुभवी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे भारतीय टेस्ट इतिहास के सबसे शांत और रणनीतिक कप्तानों में से एक माने जाते हैं। 2020-21 में विराट कोहली की गैरमौजूदगी में रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम की कमान संभाली और 0-1 से पिछड़ने के बावजूद टीम इंडिया को 2-1 से सीरीज जिताई। वहीं मेलबर्न टेस्ट में रहाणे के शतक ने टीम की वापसी की नींव रखी और फिर ब्रिसबेन में ऐतिहासिक जीत के साथ भारत ने लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीत ली। इस स्टार बल्लेबाज ने 6 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की है। इस दौरान उन्होंने 4 मैचों में जीत दर्ज की है जबकि 2 टेस्ट ड्रॉ खेले हैं। इस दौरान रहाणे को एक भी मैच में हार का सामना नहीं करना पड़ा है।
आक्रामक बल्लेबाज़ के रूप में मशहूर सलामी बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत ने 1980 के दशक में चार टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की। खास बात यह कि सभी चारों मैच ड्रॉ रहे। उस दौर में पिचें बल्लेबाज़ों के अनुकूल होती थीं और श्रीकांत की कप्तानी में भारत ने एक भी मैच नहीं गंवाया।
भारत और वेस्टइंडीज के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जा रही थी। सीरीज 0-0 से बराबर थी। चौथा और आखिरी टेस्ट जॉर्जटाउन (गयाना) में खेला जाना था। नियमित कप्तान दिलीप वेंगसरकर चोट के कारण बाहर हो गए थे। उप-कप्तान भी उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में टीम मैनेजमेंट ने 26 साल के रवि शास्त्री को कप्तानी सौंप दी। शास्त्री उस समय भारतीय टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने 1981 में डेब्यू किया था और 1985 की विश्व चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट में “चैंपियन ऑफ चैंपियंस” का खिताब जीत चुके थे। उन्होंने इस मैच को 255 रनों से जीता। इसके साथ ही वो भी भारत के लिए बतौर कप्तान एक भी मैच न हारने वाले कप्तानों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं।
1958-59 में वेस्टइंडीज की टीम भारत दौरे पर आई थी। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर चल रही थी। पांचवां और आखिरी टेस्ट 6 फरवरी 1959 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला गया। नियमित कप्तान गुलाबराय रामचंद (पहले चार टेस्ट में कप्तान थे) और उप-कप्तान पंकज रॉय दोनों चोटिल हो गए थे। उस समय भारतीय टीम में सीनियर खिलाड़ियों की कमी थी। ऐसे में चयनकर्ताओं ने 39 वर्षीय हेमू अधिकारी को कप्तानी सौंप दी। यह हेमू अधिकारी का अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच भी था। यह मैच ड्रा रहा।
Published on:
26 Nov 2025 03:06 pm
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