Dilip Sardesai Birthday Special: भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 8 अगस्त का दिन बेहद खास होता है। आज भारतीय क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाज दिलीप नारायण सरदेसाई की 85वीं जयंती है। गोवा के मडगांव में 8 अगस्त 1940 को जन्मे सरदेसाई न केवल भारतीय क्रिकेट इतिहास के एक चमकते सितारे थे, बल्कि गोवा से भारतीय टेस्ट टीम में खेलने वाले पहले और एकमात्र खिलाड़ी भी थे।
सरदेसाई की शानदार बल्लेबाजी, खासकर स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ उनकी महारत, और भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उनके योगदान ने उन्हें अमर बना दिया। दिलीप सरदेसाई का जन्म उस समय गोवा में हुआ था, जब यह पुर्तगाली शासन के अधीन था। उस दौर में गोवा में क्रिकेट की कोई खास सुविधाएं नहीं थीं, और टर्फ विकेट का तो सवाल ही नहीं था। फिर भी, सरदेसाई के क्रिकेट के प्रति जुनून ने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
17 साल की उम्र में उनका परिवार मुंबई चला गया, जहां उनकी प्रतिभा को कोच 'मान्या' नाइक ने पहचाना। मुंबई के विल्सन कॉलेज और सिद्धार्थ कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी क्रिकेट प्रतिभा और निखरी। 1959-60 में रोहिंटन बारिया ट्रॉफी में बॉम्बे यूनिवर्सिटी के लिए खेलते हुए सरदेसाई ने 87 की औसत से 435 रन बनाकर सबका ध्यान खींचा। इसके बाद 1960 में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और जल्द ही राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नजर में आ गए।
दिलीप सरदेसाई ने 1 दिसंबर 1961 को कानपुर में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया। उनके 11 साल के टेस्ट करियर में उन्होंने 30 टेस्ट मैचों में 55 पारियों में 39.23 की औसत से 2001 रन बनाए, जिसमें 5 शतक और 9 अर्धशतक शामिल थे। उनकी दो डबल सेंचुरी, 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्स्टन में 212 रन और 1965 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में 200 रन, उन्हें भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहले बल्लेबाज बनाया, जिसने टेस्ट शतक को दोहरे शतक में बदला।
1970-71 का वेस्टइंडीज दौरा सरदेसाई के करियर का सुनहरा अध्याय रहा। इस दौरे पर उन्होंने 642 रन बनाए, जिसमें किंग्स्टन में 212 और पोर्ट ऑफ स्पेन में 112 रन की शानदार पारियां शामिल थीं। उनकी इन पारियों ने भारत को कैरेबियाई धरती पर पहली टेस्ट जीत दिलाई। इसके अलावा, 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में उनकी 54 और 40 रनों की पारियां भारत की पहली टेस्ट सीरीज जीत में महत्वपूर्ण साबित हुईं।
भारतीय क्रिकेट के दिग्गज दिलीप सरदेसाई न केवल अपनी शानदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनकी निजी जिंदगी की कुछ कहानियां भी उतनी ही दिलचस्प हैं। इनमें से एक है उनकी पत्नी नंदिनी पंत के साथ उनकी प्रेम कहानी, जो 1970-71 के वेस्टइंडीज दौरे के दौरान लिखे गए प्रेम पत्रों से शुरू हुई। इस रोचक किस्से का जिक्र पूर्व क्रिकेट प्रशासक मकरंद वेंगसरकर की किताब में मिलता है, जो सरदेसाई के जीवन की एक खूबसूरत झलक पेश करता है।
दिलीप सरदेसाई की मुलाकात नंदिनी पंत से 1970-71 के वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना होने से ठीक पहले हुई थी। यह दौरा भारतीय क्रिकेट इतिहास में ऐतिहासिक था, क्योंकि इस दौरान भारत ने कैरेबियाई धरती पर पहली बार टेस्ट सीरीज जीती। लेकिन इस दौरे ने न केवल सरदेसाई के क्रिकेट करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि उनकी निजी जिंदगी में भी एक नया अध्याय जोड़ा।
दिलीप और नंदिनी ने एक-दूसरे को चिट्ठियां लिखना शुरू किया। उस समय, जब मोबाइल फोन या इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं थीं, पत्र ही प्यार को व्यक्त करने का सबसे खूबसूरत माध्यम थे। वेस्टइंडीज दौरे के अंत तक दिलीप ने नंदिनी को 90 प्रेम पत्र लिख डाले। ये पत्र न केवल उनके प्यार की गहराई को दर्शाते थे, बल्कि उनकी सादगी और भावनाओं की सच्चाई को भी उजागर करते थे।
नंदिनी के अनुसार, दिलीप के इन पत्रों में अक्सर अंग्रेजी की छोटी-मोटी गलतियां होती थीं। दिलीप, जो गोवा के मडगांव से आए थे और जिनका प्रारंभिक जीवन पुर्तगाली प्रभाव वाले माहौल में बीता था, अंग्रेजी में उतने सहज नहीं थे। नंदिनी ने इन पत्रों को पढ़ते समय उनकी गलतियों को ठीक करने में मदद की।
Updated on:
08 Aug 2025 08:44 am
Published on:
08 Aug 2025 08:42 am