उत्तरकाशी। हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी झील प्रशासन और विशेषज्ञों के लिए अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। शनिवार सुबह राहत की उम्मीद जगी थी जब इंजीनियरों और राहत दलों ने झील को पंक्चर करने में सफलता पाई और जलस्तर घटने लगा। लेकिन दोपहर बाद लगातार हुई बारिश ने सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। शाम तक झील का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा और खतरा जस का तस हो गया।
पांच अगस्त को भागीरथी के मुहाने पर बड़े-बड़े बोल्डर, पेड़ और मिट्टी-गाद जमने से बनी यह झील करीब 1200 मीटर लंबी और 15 फीट गहरी है। झील के दबाव में गंगोत्री हाईवे का बड़ा हिस्सा पहले ही समा चुका है। प्रशासन के लिए यह झील गंभीर चिंता का विषय है।
यूजेवीएनएल और सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियरों की टीम के साथ सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन लगातार तीन दिनों से झील को सुरक्षित तरीके से पंक्चर करने की कोशिश कर रहे हैं। शनिवार सुबह झील का दायरा घटकर 1000 मीटर तक आ गया था, लेकिन शाम तक बारिश के कारण पानी का दबाव फिर बढ़ गया और झील अपनी पुरानी स्थिति में लौट आई। सचिव आपदा प्रबंधन कुमार सुमन ने बताया कि विशेषज्ञ लगातार काम कर रहे हैं। भागीरथी को चैनलाइज कर समानांतर जल निकासी बढ़ाई गई है ताकि खतरा कम किया जा सके। हालांकि, लगातार हो रही बारिश से राहत कार्यों में बड़ी बाधा आ रही है।
Published on:
17 Aug 2025 10:00 am