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गैंगरेप के आरोपी बरी : कोर्ट ने पुलिस जांच को बताया दूषित, बाबा की सुनी बातों पर…

Court Order:गैंगरेप के आरोपी करीब छह साल बाद बरी हो गए हैं। इस मामले में पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस जांच को दूषित करार देते हुए तमाम सवाल भी खड़े किए। कोर्ट ने इसे विवेचक की घोर लापरवाही बताया। कमजोर साक्ष्यों के चलते कोर्ट में पुलिस के तथ्य टिक नहीं पाए।

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The court acquitted the gang rape accused and questioned the police investigation

कोर्ट ने गैंगरेप के आरोपियों को बरी करते हुए पुलिस जांच पर सवाल उठाए। फोटो सोर्स एआई

Court Order:गैंगरेप के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस जांच को दूषित करार देते हुए आरोपियों को बरी करने के निर्देश दिए हैं। ये मामला उत्तराखंड के देहरादून का है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी के मुताबिक घटना मार्च 2019 की है। उन्होंने बताया कि सेलाकुई पुल के नीचे मानसिक रूप से कमजोर गर्भवती महिला को बरामद किया गया था। सामाजिक कार्यकर्ता पूजा बहुखंडी ने पीड़िता से 19 मार्च 2019 को सहसपुर थाने में सामुहिक दुराचार होने का केस दर्ज कराया था। पूजा ने पुलिस को बताया था कि पीड़िता का लंबे समय से शारीरिक शोषण हो रहा है। पीड़िता एक बाबा, मिस्री उर्फ सुरेश और शंकर के संपर्क में थी। तहरीर के आधार पर कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारियां की थीं। ये मामला देहरादून की पॉक्सो न्यायालय में चल रहा था। पॉक्सो कोर्ट की जज रजनी शुक्ला ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपियों को बरी किया। साथ ही कोर्ट ने पुलिस की जांच को दूषित करार दिया। इस मामले में विवेचक के रवैये को लापरवाह बताया। बता दें कि मामले में पुलिस ने जांच के दौरान 30 मार्च 2019 को मिस्त्री उर्फ सुरेश मेहतो और 5 मई 2019 को शंकर उर्फ साहिब की गिरफ्तारी हुई थी। सुरेश मेहतो गिरफ्तारी के बाद से फैसला दिए जाने तक जेल में रहा। वहीं, दूसरी ओर शंकर को 18 जुलाई 2023 में जमानत मिल गई थी।

बाबा से सुनी बातों पर हुआ था केस

पॉक्सो कोर्ट ने अपने 20 पन्नों के फैसले में पुलिस जांच पर गंभीर सवाल खडे़ किए। कोर्ट ने कहा कि इस केस में बाबा की सुनी बातों पर सामाजिक कार्यकर्ता ने केस दर्ज कराया था। बावजूद इसके पुलिस जांच में उस बाबा को कहीं भी शामिल नहीं किया गया था। ये विवेचक की घोर लापरवाही है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के साथ रहने वाला बाबा पुलिस की कहानी को बल देने में बड़ा गवाह हो सकता था। बावजूद इसके पुलिस ने बाबा को जांच में शामिल नहीं किया।

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गर्भ में पल रहे बच्चे का भी सौदा

गैंगरेप के मामले में तमाम बातें निकलकर सामने आई। तहरीर में लिखा गया था कि महिला के होने वाले शिशु का जन्म से पहले ही 22 हजार रुपये में सौदा कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि महिला के मानसिक विक्षिप्त होने का कोई कानूनी आधार नहीं दिया। अगर महिला विक्षिप्त है तो उससे जन्मा शिशु उसके पास क्यों छोड़ दिया गया। महिला कुछ दिन नारी निकेतन में रहने के बाद कहां रही यह तथ्य भी पुलिस पत्रावली मौजूद नहीं है। तमाम सवाल खड़े करते हुए कोर्ट ने आरोपियों को बरी किया।