
एलयूसीसी घोटाले के मामले में सीबीआई ने फिल्म अभिनेता श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ सहित 46 लोगों पर केस दर्ज किया है। फोटो सोर्स एआई
LUCC Scam:सीबीआई ने करीब 800 करोड़ से अधिक के चर्चित एलयूसीसी घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने राज्य पुलिस की ओर से पौड़ी गढ़वाल, देहरादून,हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में दर्ज 18 अलग-अलग मुकदमों को अपने अधीन ले दिया है। ये मामला अरबों की धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स एक्ट (बड्स ) के तहत दर्ज किया गया है। सीबीआई ने मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल के अलावा गिरीश चंद सिंह बिष्ट, उर्मिला बिष्ट जैसे स्थानीय एजेंटों साथ ब्रांड एंबेसडर के तौर पर अभिनेता श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ को भी नामजद किया है। बताया जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही आरोपियों की धरपकड़ और संपत्तियों की कुर्की के लिए छापेमारी शुरू कर सकती है। बता दें कि ये चर्चित घोटाला काफी सुर्खियों में बना हुआ है। घोटाले के बाद से निवेशक सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं।
एलयूसीसी सोसाइटी की अगुवाई समीर अग्रवाल करता है। इस सोसाइटी ने उत्तराखंड में बिना अनुमति के 18 से अधिक शाखाएं खोलीं। इसके जरिए लोगों को आरडी और एफडी पर बैंक से ज्यादा ब्याज और मोटे कमीशन का लालच देकर फंसाया गया। पुलिस ने अलग -अलग जिलों में आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किए थे। इस मामले को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गत 17 सितंबर को इसे गंभीर माना था। हाईकोर्ट ने मामले में अंतरराज्यीय संगठित अपराध करार देकर जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। इसी को देखते हुए सीबीआई ने इस मामले को अपने अधीन लेते हुए जांच शुरू कर दी है। जल्द ही आरोपियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की संभावना है।
एलयूसीसी सोसाइटी ने पहाड़ के लोगों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखाया था। अरबों रुपये जमा करवाने के बाद एलयूसीसी सोसायटी जब रातों-रात अपने दफ्तरों पर ताला जड़कर फरार हुई, तो निवेशकों के पैरों तले से मानों जमीन खिसक गई। पहले निवेश पर एजेंटों को अच्छा रिटर्न दिया गया। फिर उनके जरिए सेठ बनाने का सपना दिखाकर हजारों लोगों को जोड़ा गया, जिन्होंने करोड़ों का निवेश किया और फिर सड़क पर आ गए। लोगों के आक्रोश के बीच सामने आया कि लोगों ने अपनी बेटियों की शादी, बुढ़ापे की पेंशन और मकान बनाने के लिए रखी रकम की पाई-पाई जोड़कर सोसायटी में जमा कराई थी।
एलयूसीसी घोटाले की सबसे दुखद दास्तां उन एजेंटों की है जो इस खेल में 'मोहरा' और 'शिकारी' दोनों बन गए। सीबीआई की एफआईआर में कई ऐसे आरोपी भी शामिल हैं जो खुद पहले शिकायतकर्ता थे। बाद में आरोपी बने और अब सीबीआई की एफआईआर तक नाम पहुंच गया है। एजेंटों के लिए कंपनी ने पिरामिड स्कीम की तरह काम किया। कई लोगों को पहले ग्राहक और फिर एजेंट बनाया गया। इन्हें शुरुआत में मोटा कमीशन और गिफ्ट (स्कूटी, विदेश यात्रा) देकर लुभाया गया। इस चकाचौंध में आकर इन एजेंटों ने अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों का पैसा भी लगवा दिया। जब कंपनी भागी तो रिश्तेदार और परिचित से निवेशक बने लोग इन एजेंटों के घर के बाहर खड़े हो गए।
Updated on:
28 Nov 2025 06:55 am
Published on:
28 Nov 2025 06:54 am
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