World Elephant Day:हेमलाल साहू. छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में छत्तीसगढ़ में झारखंड के रास्ते से वर्ष-1987 में पहली बार हाथी ने प्रवेश लिया था। पिछले 8-10 वर्षों से उड़ीसा के रास्ते से ही हाथियों का प्रवेश हो रहा है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाथियों की संख्या बढ़कर 400 हो गई है। बताया जा रहा कि 15 साल पहले यह संख्या 140 से 150 थी। छत्तीसगढ़ में हाथियों के आगमन को वन विभाग सुखद मानता है। पिछले कुछ वर्षों में मानव-हाथी द्वंद भी अब बड़ी समस्या बन गई है। धमतरी जिले में वर्तमान में दो हाथी विचरण कर रहे।
धमतरी जिला सीमा में मानव-द्वंद के 4 वर्ष में 30 से अधिक मामले आए। हाथी-मानव आमने-सामने होने से 11 लोगों की मौत हुई है। हाथियों ने प्रदेश में 3 नए कॉरिडोर बनाए हैं। 1842 वर्ग किमी में फैले सीतानदी-उदंती टायगर रिजर्व में 5 साल पहले तक एक भी हाथी नहीं थे। वर्तमान में यहां 40 हाथियों का समूह घूम रहा है। इनमें कुलाप के 10 और सिकासेर के 30 हाथी शामिल हैं। टायगर रिजर्व में हाथियों की संख्या बढ़ने का कारण जंगल को अतिक्रमण मुक्त करना बता रहे।
पशु प्रेमी व जानवरों के जानकार नितिन सिंघवी ने कहा कि मानव ने हाथी को परेशान और विचलित कर दिया है। हाथी पर लोग पत्थर फेंक रहे, भीड़ के साथ उनके पास जा रहे। हाथियों की हम जमीन ले लिए अर्थात उनके कॉरिडोर में खेत बना लिए, तो हाथी जाए कहां? वन विभाग सचेत करता है कि जंगल में हाथी है इधर न जाएं। इसके बावजूद लोग जाते हैं।
मानव-हाथी द्वंद रोकने के लिए हमें खुद जागरूक होना होगा। हाथी शिक्षित है। मानव ही अशिक्षित हो गया है। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में एलीफेंट एप के माध्यम से अर्ली वार्निंग सिस्टम पर काम हो रहा है। यह काफी अच्छा है। इससे कम समय में ज्यादा लोगाें को अलर्ट करने में सफलता मिल रही है। हाथी को चमकीले और सफेद कपड़े पसंद नहीं है। ऐसे कपड़े पहनकर हाथियों के सामने नहीं आना चाहिए। हाथी काफी संवेदनशील और शांति प्रिय होते हैं। जंगल क्षेत्रों में घरों में रखे शराब, अनाज से हाथी आकर्षित होते हैं।
धमतरी डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव ने बताया कि धमतरी जिला में 2 लाख हेक्टर वनक्षेत्रफल है। जबकि धमतरी वन मंडल 1.60 लाख हेक्टर में फैला हुआ है। हाथियों का मुख्य कॉरिडोर पांडुका होते हुए मगरलोड उत्तर सिंगपुर, केरेगांव और धमतरी है। इसी रूट से होकर हाथियों का आना-जाना होता है। हाथियों को घना जंगल पसंद नहीं है। हाथी ड्राय डायवर्सिटी को ज्यादा पसंद करते हैं। धमतरी वन मंडल में वर्तमान में बीबीएम-1 दंतैल और जीबीएमई-1 मखना हाथी विचरण कर रहे हैं। हाथी एक जगह रहने वाला प्राणी नहीं है।
समुदाय बढ़ने के साथ ही यह नए जगह की तलाश करता है। हाथी एक समझदार प्राणी है। मादा हाथी ही दल की मुखिया होती है। हाथी-मानव द्वंद के पीछे दो कारण है। पहला वनभूमि में अतिक्रमण और दूसरा वन क्षेत्र में रहने वाले लोगाें को हाथी के स्वभाव की जानकारी नहीं होना। हाथी और मानव द्वंद रोकने के लिए वन विभाग द्वारा कई उपाए किए जा रहे हैं।
पहला हाथियों को मानव बसाहट से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरा एलीफेंट मोबाइल अलर्ट एप के माध्यम से हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। जिले में 10 हाथी मित्र दल बनाए गए हैं। व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। मुनादी के माध्यम से भी ग्रामीणों को अलर्ट करते हैं।
टायगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हाथियों का कुनबा बढ़ा है। 15 साल पहले संख्या 140 से 140 थी। अब 400 हो गई है। उन्हाेंने बताया कि मानव-हाथी द्वंद रोकने में एलीफेंट अलर्ट एप उपयोगी साबित हो रहा है। वर्तमान में इस एप से 15 हजार से अधिक ग्रामीण और अधिकारी, हाथी मिड्डत्र दल के सदस्य जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ के इस एप के प्रभावी रिजल्ट को देखते हुए मध्यप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड और महाराष्ट्र ने भी अपना है।
इस एप से हाथियों की निगरानी भी हो रही और मानव-हाथी द्वंद को लेकर अलर्ट भी किया जा रहा है। हाथी कॉरिडोर तोरेंगा है। कुल्हाड़ी घाट, अरसीकन्हा हाथियों का प्रमुख रहवास क्षेत्र है। बाघ की आमद के बाद से कुलापा हाथी दल पहली बार उदंती सीतानदी के उत्तर-दक्षिण क्षेत्र में चले गए हैं। आने वाले 5 साल में हाथी बस्तर क्षेत्र तक फैल जाएंगे। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व क्षेत्र में 5 साल में 1 अगहन हाथी की मौत हुई है। वहीं 3 साल में 1 जनहानि हुई है।
Published on:
12 Aug 2025 03:08 pm