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हवा में अदालतों का फरमान…सार्वजनिक जगहों पर घूम रहे श्वान

राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का शहर में जमकर माखौल उड़ाया जा रहा है। दोनों ही न्यायपालिकाओं के आदेशों के बावजूद भी राजकीय अस्पतालों से लेकर रेलवे स्टेशन, स्कूल और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा श्वानों को नहीं हटाया जा रहा, जहां आए दिन श्वानों का झुण्ड आसानी से देखा जा सकता है, जो लोगों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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हवा में अदालतों का फरमान...सार्वजनिक जगहों पर घूम रहे श्वान Court orders in the air...dogs roaming in public places

-अस्पतालों, रेलवे स्टेशन से लेकर स्कूलों तक में आवारा श्वानों का जमावड़ा

-राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

- प्रतिदिन मासूमों को अपना शिकार बना रहे श्वान और निराश्रित गोवंश

धौलपुर.राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का शहर में जमकर माखौल उड़ाया जा रहा है। दोनों ही न्यायपालिकाओं के आदेशों के बावजूद भी राजकीय अस्पतालों से लेकर रेलवे स्टेशन, स्कूल और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा श्वानों को नहीं हटाया जा रहा, जहां आए दिन श्वानों का झुण्ड आसानी से देखा जा सकता है, जो लोगों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जिला प्रशासन और नगर परिषद की उदासीनता शहर में आवारा श्वानों और निराश्रित गोवंश की समस्या को और बढ़ा रहा है। राजस्थान में डॉग बाइट और आवारा जानवरों के हमले के मामलों में बढ़ोत्तरी के बाद हाईकोर्ट ने तीन महीने पहले सरकारी एजेंसियों को सडक़ों से आवारा जानवरों को हटाने का आदेश दिया था। इस दौरान कार्रवाई को प्रभावित करने वालों के खिलाफ भी एफआईआर के आदेश भी दिए थे। मामला जब सुप्रीम कोर्ट में उठा तो वहां भी राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देशों को सख्ती से पालन कराने के आदेश जारी किए थे। जिसके बाद राज्य सरकार ने भी सभी निकायों को आवारा श्वानों को सार्वजनकि जगहों से पकडऩे और उन्हें शेल्टर होम्स में रखने के आदेश दिए थे।

प्रतिदिन 30 से40 मामले डॉग बाइट के

राज्य और देश के सर्वोच्च अदालतों के आदेशों की पालना शहर में नहीं हो रही। जिम्मेदार नगर परिषद का ध्यान इस ओर कतई नहीं है। आप चाहे जिला अस्पताल चले जाएं या फिर जनाना, यानि फिर रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड और स्कूल आवारा श्वानों का झुण्ड आदमखोरी करता आपका मिल जाएगा। जो आए दिन लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार लोगों इनको पकडऩे की फुर्सत तक नहीं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो जिला अस्पताल प्रतिदिन ३० से ४० मामले डॉग बाइट के आ रहे हैं। जिनमें से कई मामले तो बेहद ही गंभीर होते हैं। इसके अलावा मंकी बाइट और निराश्रित गोवंशों के हमलों का शिकार भी शहरवासी प्रतिदिन हो रहे हैं। जिम्मेदार आवारा श्वानों की नसबंदी तो दूर उन्हें पकडऩे तक के लिए कोई अभियान नहीं चला रहा।

शेल्टर होम्स में रखने के दिए आदेश

देश की सर्वोच्च अदालत ने 7 नवम्बर को आवारा श्वानों को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से दूर रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया था कि पकड़े गए आवारा श्वानों को उसी जगह पर वापस नहीं छोड़ा जाए, जहां से उन्हें उठाया गया था। उन्हें शेल्टर होम में रखा जाएगा। इसके अलावा हाइवों से निराश्रित गोवंश को भी हटाने के आदेश जारी किए थे। स्कूलों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में बार-बार डॉग बाइट की घटनाएं सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता दिखाती हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट ने लिया प्रसंज्ञान

दरअसल 31 जुलाई को हाईकोर्ट ने जोधपुर शहर में आवारा श्वानों और जानवरों के लोगों पर अटैक की खबरों को लेकर प्रसंज्ञान लिया था। साथ ही कोर्ट का सहयोग करने के लिए सीनियर एडवोकेट डॉ. सचिन आचार्य, एडवोकेट प्रियंका बोराणा और हेली पाठक को न्याय मित्र नियुक्त किया था, लेकिन उसके बाद भी अस्पतालों, रेलवे स्टेशन, स्कूल और सार्वजनिक जगहों पर आवारा श्वानों सहित जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है, जो लोगों सहित मासूम बच्चों तक अपना शिकार बना रहे हैं।

तीन माह में तीन हजार लोग बने शिकार

2024 में राजस्थान में डॉग बाइट के 3 लाख से ज्यादा केस सामने आए थे। इनमें से कई केस तो ऐसे थे, जिनमें मासूमों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी। तो वहीं गत वर्ष भी कुत्तों के साथ दूसरे आवारा जानवरों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। जिला अस्पताल के आंकड़ों को देखें तो अगस्त से लेकर अक्टूबर माह यानी तीन महीने में आवारा श्वान तीन हजार से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2025 को जारी अपने एक आदेश में पूरे देश में स्कूलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया।

नसबंदी और टीकाकरण: कोर्ट ने यह भी कहा कि पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया जाए और उन्हें शेल्टर होम में रखा जाए, न कि उसी जगह पर वापस छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया है।

प्रशासन की विफलता: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद, कई इलाकों में स्थानीय प्रशासन ने इन नियमों को पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। इस विफलता के कारण आज भी अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के झुंड देखे जा सकते हैं।

अदेशों की मुझे डिटेल में जानकारी नहीं है। कोर्ट के आदेशों की गाइडलाइन को देखा जाएगा और उसके हिसाब से ही कार्य किया जाएगा।

-कर्मवीर सिंह, एसडीएम धौलपुर