
जिलेभर में करीब 22 से 25 हजार निराश्रित जानवर, पकडऩे की सुविधा न के बराबर
- बीते दस दिन में सडक़ हादसों में बच्ची समेत दो जनों की हो चुकी मौत
धौलपुर. हाइवे, सडक़ हो या फिर गली-मोहल्ले हर तरफ निराश्रित पशु घूमते हुए दिख जाएंगे। ये पशु अब वाहन चालक और आमजन के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। जिला मुख्यालय पर ऐसे पशुओं का जमकर आतंक है। वहीं, जिम्मेदारों के इन निराश्रित पशुओं को नहीं पकड़वाने से शहर से लेकर छोटे कस्बों तक अब आमजन को डराने लगे हैं। जिले में बीते दस दिन में निराश्रित जानवरों की वजह से एक बच्ची समेत दो जने जान से हाथ धो चुके हैंं। जबकि कई चोटिल हो चुके हैं। एक आंकड़े के अनुसार जिले में सडक़ों लावारिस घूम रहे पशुओं की संख्या करीब 22 से 25 हजार के बीच है। वहीं, पशु गणना के अनुसार जिले में अकेले गोवंश की संख्या करीब 53 हजार है।
गौरतलब रहे कि सडक़ों पर घूम रहे इन निराश्रित जानवरों को पकडऩे की कोई ठोस योजना नहीं है। केवल बीच-बीच में कुछ जानवरों को पकड़ कर छुड़वा दिया जाता है। जबकि ज्यादातर खुले में घूम रहे हैं। शहर में नगर परिषद की ओर से भी इन्हें नहीं पकडऩे और खुले में घूम रहे जानवरों पर चालान नहीं करने से पशुपालक भी लापरवाह बने हुए हैं। ये पशुपालक इनका उपयोग कर खुले में छोड़ देते हैं।
कागज में 13 गोशाला, चल रही एक
उधर, जिले में वैसे तो 13 गोशालाएं हैं। इसमें सैंपऊ में 2, बसेड़ी 1, बाड़ी 1, राजाखेड़ा 1, धौलपुर 1 है। वहीं, छह पंचायत स्तरीय गोशालाओं को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। वर्तमान में जिले में केवल बिजौली के पास ही गोशाला संचालित हैं। इसमें दो गोशाला हैं। एक की क्षमता 565 और दसूरी नंदीशाला की 50 है। धौलपुर समेत आसपास निराश्रित गोवंश पकड़े जाने के बाद बिजौली में गोवंश छोड़ा जाता है।
दूध निकाला और फिर छोड़ा...
शहर में कई पशुपालक पशुओं का सुबह-शाम दूध निकालने के बाद इन्हें खुले में छोड़ देते हैं। ये ही जानवरी रात भर सडक़ समेत अन्य स्थानों पर झुंड बनाकर बैठे रहते हैं। इसमें बड़ी संख्या में निराश्रित भी है, जिन्हें पशुओं ने दूध नहीं देने और उपयोग में नहीं आने पर छोड़ रखा है। ये जानवरी आमजन के लिए मुसीबत की वजह बन रहे हैं।
- निराश्रित पशुओं को गोशाला भेजा जाता है। धौलपुर शहर में सडक़ पर जगह जगह घूम रहे निराश्रित पशुओं को पकडऩे के लिए नगर परिषद प्रशासन को पत्र लिखे जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है। कई पशुपालक दूध निकालने के बाद उन्हें खुला छोड़ देते हैं। इन पर नगर परिषद को जुर्माना करना चाहिए।
- डॉ.संतराम मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग
- निराश्रित जानवरों को पकडऩे वाने के लिए ठेका किया जाएगा। खुले में घूम रहे पशुपालकों के पशुओं को उन्हें बांधने के लिए समझाइश की जाएगी। नहीं तो फिर जुर्माना होगा।
- गुमान सिंह सैनी, कार्यवाहक आयुक्त नगर परिषद
Published on:
25 Sept 2025 07:18 pm
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