
एलर्जी, आंखों में जलन और अस्थमा के मरीज बढ़े
-जिला अस्पताल में प्रतिदिन 200 मरीज पहुंच रहे श्वास संबंधी बीमारी के
धौलपुर. शहर की जर्जर सडक़ें अब शहरवासियों को तिहरी मार दे रही हैं। गड्ढों में तब्दील सडक़ों से जहां लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं, वहीं दो पहिया और चार पहिया वाहनों को भी नुकसान पहुंच रहा है। तो जर्जर सडक़ों से उड़ता धूल का गुबार श्वास संबंधी बीमारियां परोस रहा है। जिसका ही नतीजा है कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन श्वास संबंधी 150 से 200 मरीज पहुंच रहे हैं।
धौलपुर जिला मुख्यालय का हाल बेहाल है। गड्ढों में तब्दील सडक़ें और उनसे उड़ता धूल का गुबार जहां जिम्मेदार विभागों की नाकामी को बयां करता है तो वहीं प्रशासन का भी माखौल उड़ता नजर आता है। आप चाहे धौलपुर शहर की जिस सडक़ पर चले जाएं चहुंओर उड़ती धूल श्वास नली के माध्यम से लोगों के फेंफड़ों में पहुंच रही है। जिस कारण जिला अस्पताल की ओपीडी में भी श्वास संबंधी मरीजों की तादाद बढऩे लगी है। अस्पताल में पहले जहां 100 से लेकर 120 तक श्वास संबंधी मरीज आते थे, लेकिन अब 150 से 200 तक श्वास रोगी अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं। गुरुवार को भी यह संख्या लगभग 180 रहा। धूल के उड़ते गुबार से लोग जहां एलर्जी का शिकार हो रहे हैं तो वहीं सर्दी, सांस लेने में तकलीफ , अस्थमा और आंखों में जलन की समस्या भी लोगों को हो रही है।
बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा प्रभाव
सडक़ों से उड़ती धूल श्वास, त्वचा और आंखों की बीमारियों को बढ़ा रही है। जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। धूल में मौजूद सिलिका, लेड और अन्य तत्वों के कारण अस्थमा, एलर्जी, आंखों की जलन, खुजली और त्वचा संक्रमण, एलर्जी, बार-बार सर्दी होना, सिरदर्द, तनाव, जैसी समस्याओं को बढ़ाता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से श्वास संबंधी बीमारी वाले लोगों को अधिक खतरा है। तो डॉक्टर भी लोगों को मुंह ढक कर रहने की सलाह दे रहे हैं।
नवीनीकरण तो दूर पेंचवर्क तक नहीं
शहर की सडक़ों को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए परिषद और पीडब्ल्यूडी गंभीर दिखाई नहीं दे रहे। शहर में इन दोनों ही विभागों की सडक़ों का जाल बुना हुआ है, जिनकी हालत बद से बदतर हो रही हैं। मानसून समाप्त हो चुका है जिसके बाद शहर की सडक़ों की भयाभय तस्वीर देखने को मिल रही हैं। दोनों ही विभागों ने सालों से जर्जर हो रही इन सडक़ों का नवीनीकरण किया है और न ही इनका ठीक से पेंचवर्क ही कराया गया है। मानसून से पहले भी पीडब्ल्यूडी ने गड्ढा युक्त सडक़ों का पेंचवर्क तक करना मुनासिब नहीं समझा। जब हो हल्ला ज्यादा मचा तो बड़ी-बड़ी गिट्टियां सडक़ों के गड्ढों में भर दी गईं। जो कि लोगों को रपटन के साथ घायल करती रहीं।
हर सडक़ चिड़ाती प्रशासन का मुंह
शहर की सर्विस रोडों सहित मुख्य सडक़ें संतर रोड, पुरानी सब्जी मण्डी, लाल बाजार, पैलेस रोड, स्टेशन रोड, हरदेव नगर, गौरव पथ, बजरिया, राजाखेड़ा बाइपास, जेल रोड इनके अलावा आप चाहे जिस सडक़ का नाम लें वह सभी कंडम हालत मेें पहुंच चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय आज-कल और टेंडर का रोना रो रहे हैं, तो जनता प्रताडि़त हो रही है। इन क्षेत्रों के व्यवसायी और यहां से गुजरने वालों को भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। व्यवसायियों को दिन में कई बार दुकान की सफाई करना पड़ रही है। उधर कई लोग इन धूलभरे मार्गों से गुजरने से बचने लगे हैं।
धूल के गुबार ने इनको दी बीमारी
मंडी निवासी सियाराम शर्मा ने बताया कि बताया कि उन्हें सांस की तकलीफ हो गई है। शहर में उड़ती धूल से दिक्कत हो रही है, इसलिए वे मास्क पहनकर बाहर निकलते हैं। उन्होंने कहा धूल की समस्या से निजात मिलनी चाहिए।
गुरुद्वारा क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग डीके शर्मा ने बताया कि शहर की सडक़ें कंडम हो चुकी हैं। बाजार जाओ तो धूल का गुबार नाकों और आंखों में भरता है। धूल के कारण मेरी आंखें लाल हो गई हैं जिन्हें डॉक्टर को दिखाना पड़ा। अब बाजार जाने में संकोच होता है।
गुरुवार को ओपीडी में 1592 मरीज पहुंचे
मानसून सीजन की विदाई के साथ शरद ऋतु ने अंगड़ाई लेना प्रारंभ कर दिया है। जिसका असर अब मौसम पर भी पडऩे लगा है। हालांकि दोपहर में तेज धूप लोगों को बीमार कर रही है। गुरुवार को जिला अस्पताल की ओपीडी में 1592 लोग अपना इलाज कराने को पहुंचे। जिनमेंं से 977 मरीज जनरल मेडिसन के शामिल हैं। अस्पताल में सबसे ज्यादा वायरल, सर्दी जुकाम, एलर्जी, श्वास संबंधी बीमारी के मरीज ज्यादा पहुंच रहे हैं। तो वहीं जिला अस्पताल के मेल और फीमेल जनरल वार्ड भी लगभग फुल चल रहे हैं।
Published on:
26 Sept 2025 07:11 pm
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