
- लोगों की समस्याओं को दूर करने वाली नगर परिषद खुद समस्याओं से घिरी
- पेट्रोल पंप को पांच माह का भुगतान नहीं होने पर डीजल देने से किया मना
- घरों से नहीं हो पा रहा कचरा संग्रहण, टिपरों सहित ट्रैक्टरों के भी थमे पहिए
- पांच माह का 13 लाख 69 हजार 332 रुपए का भुगतान लंबित
धौलपुर. लोगों की समस्याओं को दूर करने वाली नगर परिषद खुद समस्याओं से घिरी हुई है। एक ओर जहां दर्जन भर कार्य अटके पड़े हैं वहीं साफ -सफाई व्यवस्था भी ठप है। यहां तक कि घर-घर से कचरा का संग्रहण करने वाली ऑटो टिपर डीजल के अभाव में परिषद प्रांगण में खड़ी हुई हैं। नगर परिषद पिछले पांच माह से लगभग 13 लाख उनहत्तर हजार 332 रुपए का भुगतान पेट्रोल पंप को नहीं कर पाया है।
नगर परिषद इन दिनों केवल नाम की दिखाई पड़ रही है। जहां अव्यवस्थाओं का जमकर जमावड़ा लगा हुआ है। रिश्वत कांड के बाद परिषद को अभी तक स्थायी नगर आयुक्त नहीं मिलने से बात और बिगड़ रही है। यही कारण है कि शहर के तमाम विकास कार्यों सहित रोज मर्रा के कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। इससे शहर की सफाई व्यवस्था भी अछूती नहीं रह सकी है। परिषद में घर-घर से कचरा संग्रहण करन वाली 12 ऑटो टिपर हैं जिनमें से 6 ऑटो टिपर पर ड्राइवर नहीं होने से वह अभी केवल शौपीस ही बनी हुई हैं तो वहीं जो शेष 6 ऑटो टिपर हैं वह डीजल के अभाव में परिषद के प्रांगण में खड़ी हैं।
जानकारी के अनुसार परिषद के ऑटो टिपर क्या लगभग सभी वाहन डीजल न होने के कारण बंद पड़े हैं। परिषद पिछले पांच माह से लगभग 13 लाख उनहत्तर हजार 332 रुपए का भुगतान पेट्रोल पंप को नहीं कर सका है। जिस कारण पेट्रोल पंप ने भी अब परिषद को डीजल देना बंद कर दिया है। यही कारण है कि घर-घर से कचरे का संग्रहण करने वाली 6 ऑटो टिपर परिषद में ही खड़ी हैं और घरों से पिछले दस-बारह दिनों से कचरे का संग्रहण नहीं हो पा रहा। जिस कारण अब घरों में कचरा इक_ा होने लगा है और अब लोग भी इक_े हुए कचरे को इधर-उधर फेंक रहे हैं। जिससे शहर के चौक चौराहों पर और गंदगी बढ़ रही है। शहर में प्रतिदिन की सफाई व्यवस्था के दौरान लगभग 40 से 45 टन कचरे का संग्रहण नगर परिषद के कर्मचारी करते हैं। इस कचरे में घर-घर से संग्रहण करने वाला कचरा भी शामिल हैं। कचरे का संग्रहण करने के बाद इसे डंपिंग यार्ड में डंप कर दिया जाता है।
ट्रैक्टरों सहित अवशेष संग्रहण वाहन भी बंद
नगर परिषद में डीजल के अभाव में सिर्फ ऑटो टिपर ही नहीं बल्कि शहर से कचरा संग्रहण करने वाले दो ट्रैक्टर और मृत पशुओं का अवशेष संग्रहण करने वाले वाहन भी बंद परिषद के प्रांगण में खड़े हैं। जो अब डीजल आने का इंतजार कर रहे हैं। नगर परिषद से मिली जानकारी के अनुसार जो पेट्रोल पंप अभी तक परिषद को डीजल उपलब्ध कराता था, उसका पिछले माह माह से भुगतान नहीं हो पाया है। परिषद में एक माह के दौरान लगभग तीन से चार लाख रुपए का डीजल व्यय हो जाता है। जिस हिसाब से 5 माह के 13 लाख उनहत्तर हजार 332 रुपए लाख रुपए का भुगतान परिषद को करना है।
वेतन नहीं मिलने से 20 दिन टिपर रहे बंद
शहर की सफाई व्यवस्था राम भरोसे ही है। अब जब डीजल के अभाव में ऑटो टिपर बंद पड़े हैं वहीं दीपावली से पूर्व 15 से 20 दिन तक भी ऑटो टिपर बंद रहे थे, तब भी घर-घर से कचरे का संग्रहण नहीं हो सका था। तब ऑटो टिपर के ड्राइवरों के वेतन का भुगतान नहीं होने से इन ड्राइवरों ने कार्य ही बंद कर दिया था। जिस कारण घर-घर से कचरे का संग्रहण लगभग 20 दिनों तक बंद रहा था, लेकिन दीपावली पर कुछ दिन कार्य के बाद अब यह डीजल की नई समस्या फिर सामने खड़ी हो गई।
स्थायी आयुक्त नहीं मिलने से परेशानी
बताया जा रहा है कि नगर परिषद को स्थायी नगर आयुक्त नहीं मिलने से अधिकतर समस्याएं आ रही हैं। क्योंकि रिश्वत काण्ड के बाद परिषद की कमान कभी किसी को तो कभी किसी को के ढर्रे पर चलता आ रहा है। जिस कारण न तो परिषद की आइडी मेपिंग हो पा रही है और न किसी एक अधिकारी के सिग्नेचर अपडेट। यही कारण है कि सभी कार्य अधर में पड़े हैं। यही नहीं आईडी मेपिंग और परिषद के मुखिया के सिग्नेचर अपडेट नहीं होने के कारण इंदिरा रसोई संचालकों तक को भुगतान नहीं हो पा रहा। बताया जा रहा है कि रसोई संचालकों को भी पिछले चार से पांच माह का भुगतान नहीं हो पाया है। जिससे वह भी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
Published on:
04 Nov 2025 06:49 pm
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