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पुराने ढर्रे पर सरकार…स्कूलों को खेल से लेकर ग्रांट राशि का इंतजार

शिक्षक सत्र आधा बीत जाने के बाद भी जिले के राजकीय विद्यालयों में ग्रांट राशि नहीं आई है। जिस कारण स्कूलों के संचालन के लिए कई कार्य अधर में हैं। तो वहीं खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने दी जाने वाली सहायता राशि तक भी स्कूलों में जारी नहीं की गई है। स्कूलों में नामांकन के हिसाब से राज्य सरकार ग्रांट राशि देती है।

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पुराने ढर्रे पर सरकार...स्कूलों को खेल से लेकर ग्रांट राशि का इंतजार The government is on the same old track...schools are waiting for grant money from sports.

-आधा सत्र बीत जाने के बाद भी राजकीय स्कूलों को नहीं मिली ग्रांट राशि

-महात्मा गांधी सहित एलिमेन्ट्री के केवल50 प्रतिशत स्कूलों में आई राशि

-जिले के सभी माध्यमिक स्कूल को अनुदान का इंतजार

धौलपुर. शिक्षक सत्र आधा बीत जाने के बाद भी जिले के राजकीय विद्यालयों में ग्रांट राशि नहीं आई है। जिस कारण स्कूलों के संचालन के लिए कई कार्य अधर में हैं। तो वहीं खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने दी जाने वाली सहायता राशि तक भी स्कूलों में जारी नहीं की गई है। स्कूलों में नामांकन के हिसाब से राज्य सरकार ग्रांट राशि देती है।

राजकीय स्कूलों के संचालन के लिए राज्य सरकार ग्रांट राशि के रूप में सहायता उपलब्ध कराती है। जो कि नामांकन के हिसाब से दी जाती है। यानी 50 बच्चों वाले नामांकन स्कूल में10 हजार रुपए की ग्रांट राशि प्रदान की जाती है। यह राशि नामांकन के हिसाब से २५ हजार रुपए बढ़ती भी जाती है। जो 25 हजार, 50 हजार, 74 से लेकर एक लाख तक दी जाती है। इस राशि से स्कूल की स्वच्छता, बच्चों के लिए पानी, चौक, डस्टर आदि की व्यवस्था की जाती है, लेकिन आधा सत्र बीत जाने के बाद भी राजकीय स्कूलों में ग्रांट राशि नहीं आई है। केवल एलिमेन्ट्री के 50 प्रतिशत स्कूलों में ही अभी तक राशि उपलब्ध कराई गई है, जबकि80 प्रतिशत स्कूलों सहित माध्यमिक के सभी स्कूल ग्रांट राशि की बाट जोह रहे हैं।

स्कूलों को नहीं मिली खेल अनुदान राशि

जिले के स्कूलों में ग्रांट राशि के साथ ही खेल अनुदान राशि भी नहीं दी गई है। जिससे स्कूलों में नए खेल संसाधन नहीं खरीद पा रहे, और बच्चे पुराने संसाधनों से ही काम चला रहे हैं। खेल अनुदान के तहत राजकीय प्राथमिक स्कूलों को 5 हजार, राउप्रावि को 10 हजार और राउमावि को 25 हजार की राशि दी जाती है। यह खेल गतिविधियों के लिए नाकाफी रहती है। इस बार जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं खत्म होने के बाद तक यह राशि नहीं मिली। हाल में राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए कई छात्रों को अपने स्तर पर सामग्री खरीदनी पड़ी।

पिछले सत्र कराई थी किट उपलब्ध

जानकारी के अनुसार गत वर्ष भी शिक्षा विभाग ने स्कूलों मेें खेल अनुदान राशि जारी नहीं की गई थी, बल्कि वहीं अपने स्तर से खेल किट खरीदकर राज्य भर के स्कूलों को उपलब्ध कराई गई थी। इसको लेकर स्कूलों से जुड़े शिक्षकों ने उसमें आई खेल सामग्रियों पर सवाल भी उठाए थे और खेल को घटिया स्तर का बताया था। शिक्षा विभाग पिछले वर्ष की पटकथा को भी इस सत्र में दोहराता नजर आ रहा है। यानी इस सत्र भी विभाग स्कूलों में खेल किट जारी कर सकता है।

शिक्षा विभाग का हर बार यही ढर्रा

देखा जाए तो शिक्षा विभाग राजकीय स्कूलों को हाइटेक बनाने और शिक्षा को बढ़ावा देने की बातें तो बहुत करता है, लेकिन उस ओर कदम कतई नहीं उठाता। उठाता भी तो उसको अंजाम देने में भी काफी समय गुजार दिया जाता है। अब खेल सामग्री परिषद स्तर पर खरीदी जाएगी। इसमें गुणवत्ता के साथ स्कूलों की आवश्यकता का ध्यान रख पाना मुश्किल होगा। खेल ग्रांट जारी नहीं करने से विद्यालयों में खेल सामग्री नहीं खरीदी गई है। विद्यार्थियों को उधार की खेल सामग्री या फिर दानदाताओं से पैसे लेकर काम चलाया है।

अभी केवल महात्मा गांधी स्कूलों सहित एलिमेन्ट्री के ५० प्रतिशत विद्यालयों में ग्रांट राशि आई है। माध्यमिक स्कूलों में अभी ग्रांट राशि नहीं आई। राशि शिक्षा विभाग से ही जारी होती है। इसके अलावा स्कूलों में खेल अनुदान भी नहीं आया है। पिछले सत्र की तरह इस सत्र में भी स्कूलों को खेल किट उपलब्ध कराई जाए।

-जितेन्द जादौन, एडीपीसी धौलपुर