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ऑक्सीजन व 108 वाहन समय पर न मिलने से दो माह के मासूम ने तोड़ा दम

परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए लापरवाही के आरोपडिंडौरी. जिला अस्पताल एक बार फिर अपनी लापरवाही और बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते विवादों में घिर गया है। रविवार की रात अस्पताल में भर्ती कराए गए दो माह के मासूम रघुवीर की मौत को लेकर परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों ने आरोप लगाते हुए […]

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परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए लापरवाही के आरोप
डिंडौरी. जिला अस्पताल एक बार फिर अपनी लापरवाही और बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते विवादों में घिर गया है। रविवार की रात अस्पताल में भर्ती कराए गए दो माह के मासूम रघुवीर की मौत को लेकर परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर और 108 एंबुलेंस की सुविधा मिल जाती तो रघुवीर की जान बचाई जा सकती थी। मामला रविवार रात लगभग 8. 55 बजे का है जब छांटा पड़रिया निवासी जितेंद्र कछवाहा अपने दो माह के भतीजे रघुवीर को निमोनिया की गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल उपचार के एि लेकर पहुंचा। डॉक्टरों ने मासूम की स्थिति को देखते हुए उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। परिजनों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को रेफर कागज यह कहकर नहीं दिए कि पहले एंबुलेंस की व्यवस्था कर लें। इसके बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया। कॉल सेंटर से जानकारी दी गई कि थोड़ी देर में एंबुलेंस अस्पताल पहुंच जाएगी लेकिन काफी देर इंतजार के बाद भी न तो एंबुलेंस पहुंची और न ही अस्पताल प्रशासन ने कोई वैकल्पिक सहायता उपलब्ध कराई। थक-हार कर परिजनों ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की, लेकिन मासूम की हालत लगातार बिगड़ रही थी जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की। रघुवीर के बड़े पिता जितेंद्र कछवाहा ने बताया कि हमने ऑक्सीजन सिलेंडर मांगा ताकि जबलपुर ले जा सकें, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कोई मदद नहीं की। रातभर इंतजार और भागदौड़ के बाद सोमवार की सुबह करीब 7 बजे रघुवीर ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अजय राज से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इस घटना ने न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी गंभीर चिंता जताई जा रही है। रघुवीर की मौत ने साबित कर दिया है कि कैसे व्यवस्था की एक छोटी चूक किसी परिवार की पूरी दुनिया उजाड़ सकती है। अब परिजनों की मांग है कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।